रहिमन पानी राखिए , बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै , मोती , मानुष , चुन।।
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रहिमन पानी राखिये, बिनु पानी सब सून। पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥ ... तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे (चून) से जोड़कर दर्शाया गया है। रहीम का कहना है कि जिस तरह आटे के बिना संसार का अस्तित्व नहीं हो सकता, मोती का मूल्य उसकी आभा के बिना नहीं हो सकता है उसी तरह विनम्रता के बिना व्यक्ति का कोई मूल्य नहीं हो सकता
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प्रस्तुत दोहे में रहीम दस जी कहते हैं की पानी बहुत महत्वपूर्ण होता है उसके बिना सब कुछ सूखा पढ़ जाता है। पानी मनुष्य के साथ साथ मोती तथा चुने के लिए भी जरूरी होता है , जिस प्रकार जिस प्रकार से बिं पानी के मनुष्य नहीं रह सकता उसी प्रकार पानी के बिना मोती नहीं बन सकता ।
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