रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
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रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून।।
इस दोहे में पानी के तीन अर्थों को बताया गया है। पानी का पहला अर्थ मनुष्य के व्यवहार यानी विनम्रता से है। दूसरे पानी का अर्थ चमक से है तथा तीसरे पानी का अर्थ जल यानि पानी से ही है।
अर्थ : रहीम दास जी कहते हैं कि हे प्रभु मनुष्य के अंदर हमेशा पानी अर्थात विनम्रता बनाए रखना क्योंकि जिस तरह पानी अर्थात चमक के बिना मोती का कोई मूल्य नहीं, और जिस तरह आटे में पानी डालने से ही आटा सनता है, बिना पानी के आटे का कोई उपयोग नही है। उसी तरह विनम्र व्यवहार के बिना मनुष्य की मनुष्यता फीकी है।
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अर्थ
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अर्थ : रहीम दास जी कहते हैं कि हे प्रभु मनुष्य के अंदर हमेशा पानी अर्थात विनम्रता बनाए रखना क्योंकि जिस तरह पानी अर्थात चमक के बिना मोती का कोई नहीं, और जिस तरह आटे में पानी डालने से ही आटा सनता vec epsilon बिना पानी के आटे का कोई उपयोग नही है। उसी तरह विनम्र व्यवहार के बिना मनुष्य की मनुष्यता फीकी है।