रहीमन देखि बडेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि
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इस दोहे का अर्थ यह है कि हमें समाज में और घर-परिवार में अच्छी तरह सोच-समझकर ही सभी से व्यवहार करना चाहिए। जिस प्रकार फटे हुए दूध से माखन नहीं निकाला जा सकता, ठीक उसी प्रकार बात बिगडऩे पर पुन: सुधारी नहीं जा सकती है। # रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।
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legia
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" रहिमन देखी बडेन को , लघु ना दीजिए डारी ।
जहां काम आवे सुई , कहा करे तरवारी " रहीम के दोहों में से एक है । इस पंक्ति का मतलब है कि बड़ों को देखकर chooton को डरना नहीं चाहिए क्योंकि जहां सूई काम में आती है वहां पर तलवार काम नही आएगी ।
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