रहिमन देख बड़ेन को लघु न दीजिए डारि l
जहां काम आवे सुई कहा करे तलवार ll
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इस दोहे का अर्थ यह है कि हमें समाज में और घर-परिवार में अच्छी तरह सोच-समझकर ही सभी से व्यवहार करना चाहिए। जिस प्रकार फटे हुए दूध से माखन नहीं निकाला जा सकता, ठीक उसी प्रकार बात बिगडऩे पर पुन: सुधारी नहीं जा सकती है। # रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि। जहां काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।
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