रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।
रहिमन निज संपति बिना, कोउ न बिपति सहाय।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय।।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
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रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।
रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि।।
किसी बड़ी चीज को देखकर किसी छोटी चीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जहाँ छोटी चीज की जरूरत होती है वहाँ पर बड़ी चीज बेकार हो जाती है। जैसे जहाँ सुई की जरूरत होती है वहाँ तलवार का कोई काम नहीं होता।
रहिमन निज संपति बिन, कौ न बिपति सहाय।
रहिमन निज संपति बिन, कौ न बिपति सहाय।बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय॥
जब आपके पास धन नहीं होता है तो कोई भी विपत्ति में आपकी सहायता नहीं करता। यह वैसे ही है जैसे यदि तालाब सूख जाता है तो कमल को सूर्य जैसा प्रतापी भी नहीं बचा पाता है।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥
पानी हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि पानी के बगैर जीवन असंभव है। बिना पानी के न तो मोती बनता है, न चूना और पानी के बिना मनुष्य जीवन भी असंभव है।