रहिमन विपदा हूँ भली, जो थोड़े दिन होय पर 100 से 120 शब्दों में अनुच्छेद लिखें I
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अर्थ : रहीम कहते हैं कि यदि विपत्ति कुछ समय की हो तो वह भी ठीक ही है, क्योंकि विपत्ति में ही सबके विषय में जाना जा सकता है कि संसार में कौन हमारा हितैषी है और कौन नहीं।
सुख के दिनों में यह जान पाना अत्यंत दुष्कर है कि कौन हितकारी है और कौन अहितकारी। जो मिलता है यार (मित्र) होने का दावा करता है। किंतु दुख के दिन आने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि किसकी यारी में दम है और कौन यारी का खोखला दावा करता है।
रहीम कहते हैं, विपत्ति आए तो दुखी नहीं होना चाहिए। वस्तुतः विपत्ति ही भली है, इसे झेलते हुए सुदिनों की प्रतीक्षा करनी चाहिए। विपत्ति हमेशा के लिए तो रहेगी नहीं, यह थोड़े दिन की ही मेहमान होती है। किंतु तब तक यह तो सबको पता चल जाता है कि जगत में कौन कौन हितकारी अथवा अहितकारी है
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