Hindi, asked by bgmifakeid2007, 1 day ago

रहिमननिज मन की विथा, मन ही राखी गोया सुनि अठिलेहे लोग सब बाँटि ना लेहें कोय। 1.कवि और कविता का नाम लिखें। 2,दोहे में निहित संदेश अपने शब्दों में लिखें। 3.दोहे का भावार्थ अपने शब्दों में लिखें।​

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Answered by harshitabasant
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Answer:

रहिमन निज मन की, बिथा, मन ही राखो गोय। सुनि अठिलैह लोग सब, बाटि न लैहैं न कोय।। कविवर रहीम कहते हैं कि मन की व्यथा अपने मन में ही रखें उतना ही अच्छा क्योंकि लोग दूसरे का कष्ट सुनकर उसका उपहास उड़ाते हैं। यहां कोई किसी की सहायता करने वाला कोई नहीं है-न ही कोई मार्ग बताने वाला है।

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