रहीमदास जी का एक दोहा लिखिये और उसका अर्थ लिखिये। और वो दोहा आपको क्योंं पसंद है । 60-80 शब्द मे उत्तर दिजिए ।
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रहीमदास जी महान कवि में से एक हैं। मुझे उनके सारे दोहे पसंद है । किंतु एक दोहा मुझे काफी पसंद है ।
और वह है :-
" रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय "
दोहा का अर्थ :- रहीमदास जी कहते हैं, प्रेम का संबंध कच्चे धागे से भी नाजुक होता है , इसे झटके से तोड़ना नही चाहिए । क्योंकि यदि एक बार प्रेम का सम्बन्ध टूट जाये तो जोड़ने पर जुट तो अवश्य जाता है किंतु धागे को जोड़ने जैसी गांठ बन जाती है ।
यह दोहा पसंद होने का कारन इसमें छिपी असीम जानकारी है । रहीम जी इस दोहे से बताना चाहते हैं कि अपने प्रेम में हमें कभी शक नही करना चाहिए व प्रेमी को कभी धोका नही देना चाहिए । क्योंकि एक बार विस्वास टूटने के बाद पुनः उसी विस्वास को प्राप्त करना संभव नही है ।
और वह है :-
" रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय.
टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय "
दोहा का अर्थ :- रहीमदास जी कहते हैं, प्रेम का संबंध कच्चे धागे से भी नाजुक होता है , इसे झटके से तोड़ना नही चाहिए । क्योंकि यदि एक बार प्रेम का सम्बन्ध टूट जाये तो जोड़ने पर जुट तो अवश्य जाता है किंतु धागे को जोड़ने जैसी गांठ बन जाती है ।
यह दोहा पसंद होने का कारन इसमें छिपी असीम जानकारी है । रहीम जी इस दोहे से बताना चाहते हैं कि अपने प्रेम में हमें कभी शक नही करना चाहिए व प्रेमी को कभी धोका नही देना चाहिए । क्योंकि एक बार विस्वास टूटने के बाद पुनः उसी विस्वास को प्राप्त करना संभव नही है ।
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