रहो न भूल कर कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में।
अनाथ कौन है यहाँ त्रिलोकनाथ साथ है, दयालु दीन बंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
1. कवि ने किसे तुच्छ बताया है?
(क) धन संपत्ति को
(ख) यश को
(ग) विवेक को
(घ) माधुर्य को
त्रिलोकनाथ का अर्थ है
Answers
Eight different resistors of 1Ω, 2Ω, ... , 8Ω are connected in parallel across a battery of 10V.
We have to find current flow in 1Ω resistor.
\star⋆ We know that, potential difference across each resistor remains same in parallel connection.
Therefore potential difference across all eight resistors will be 10V.
We have asked to find current flow in 1Ω resistor.
\star⋆ As per ohm's law, current flow in resistor is directly proportional to the applied potential difference. (at constant temperature)
V = IR
V denotes voltage of battery
I denotes current
R denotes resistance
By substituting the values,
➝ V = I × R
➝ 10 = I × 1
➝ I = 10/1
➝ I = 10A
∴ 10A current will flow in resistor of 1Ω.
Answer:
कवि के अनुसार समृद्धशाली होने पर भी कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। यहाँ कोई भी अनाथ नहीं है क्योंकि ईश्वर ही परमपिता है। धन और परिजनों से घिरा हुआ मनुष्य स्वयं को सनाथ अनुभव करता है। इसका परिणाम यह होता है कि वह स्वयं को सुरक्षित समझने लगता है। इस कारण वह अभिमानी हो जाता है। कवि कहता है कि सच्चा मनुष्य वही है जो संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए मरता और जीता है। वह आवश्यकता पड़ने पर दूसरों के लिए अपना शरीर भी बलिदान कर देता है। भगवान सारी सृष्टि के नाथ हैं, संरक्षक हैं, उनकी शक्ति अपरंपार है। वे अपने अपार साधनों से सबकी रक्षा और पालन करने में समर्थ हैं। वह प्राणी भाग्यहीन है जो मन में अधीर, अशांत, असंतुष्ट और अतृप्त रहता है और अधिक पाने की ललक में मारा-मारा फिरता है। अतः व्यक्ति को समृद्धि में कभी अहंकार नहीं करना चाहिए।