Rahim ke dohe explain any one dohe
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रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर ,
जब नाइके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर। ।
अर्थात व्यक्ति को हमेशा नम्र और शांत स्वभाव का होना चाहिए , अगर कोई व्यक्ति अत्याचार या अनीति करता है , यह लंबे समय तक नहीं रहता। समय बदलते देर नहीं लगती क्योंकि समय बड़ा बलवान है। नाई समाज में कमजोर तबका माना जाता है , किंतु उसके सामने बड़े-बड़े अपना सिर झुकाते हैं।
यह समय का फेर ही है कि नाई किसी का भी कान पकड़ कर उसके बाल तक उतार देता है। इसलिए रहीम दास जी कहते हैं व्यक्ति को सब कुछ समय पर छोड़ देना चाहिए समय बदलते देर नहीं लगती।
बानी ऐसी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को सीतल करै, आपहु सीतल होय। ।
व्यक्ति को सदैव अपनी वाणी से शीतल और मधुर शब्दों के ही प्रयोग करने चाहिए , जिससे सभी को प्रसन्नता हो। ऐसे शब्द कभी नहीं बोलने चाहिए जो दूसरों के लिए भी दुखदाई हो और स्वयं के लिए भी। व्यक्ति की पहचान शब्दों से ही होती है , इसलिए सदैव मधुर वाणी का प्रयोग करना चाहिए।
Kabir ke dohe कबीर के दोहे व्याख्या सहित
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर। ।
किसी भी बड़े व्यक्ति को केवल बड़ा होने से ही उसके अर्थ की पूर्ति नहीं होती , बड़ा होने के लिए मन , स्वभाव और कर्म से भी बड़ा होना चाहिए। एक खजूर का वृक्ष जो देखने में और वृक्षों से ऊंचा लगता है , किंतु वह कभी किसी राहगीर को छाया प्रदान नहीं कर सकता। ऐसे वृक्ष का क्या अर्थ ? जो अपने वास्तविक कर्म से भी विमुख हो।