Rahim ke dohe ke kavya saundarya sapsht kijiye
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व्याख्या- रहीम कवि कहते हैं कि बड़े लोगों को देखकर छोटों का निरादर नहीं करना चाहिए । उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि जिस स्थान पर सुई काम आती है, उस स्थान पर तलवार काम नहीं कर सकती । इसलिए छोटी चीजें या छोटे लोग भी समय आने पर बड़े काम के होते हैं ।
Explanation:
रहीम
जन्म- सन् 1556 ई०, लाहौर । मृत्यु- सन् 1627 ई० के लगभग । पिता- बैरम खाँ ।
रचनाएँ- रहीम सतसई ’, ‘ बरवै नायिका भेद ’, ‘ मदनाष्टक ’, ‘ रास पंचाध्यायी ’ आदि ।
काव्यगत विशेषताएँ
वर्य- विषय- नीति, भक्ति, ज्ञान, वैराग्य, श्रृंगार ।
रस- श्रृंगार, शान्त, हास्य ।
भाषा- अवधी तथा ब्रज, जिसमें अरबी, फारसी, संस्कृत के शब्दों का मेल है ।
शैली- नीतिकारों की प्रभावोत्पादक वर्णनात्मक शैली ।
अलंकार- दृष्टान्त, उपमा, उदाहरण, उत्प्रेक्षा आदि ।
छन्द- दोहा, सोरठा, बरवै, कवित्त, सवैया
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