Rahim ke nitiparak doho ki kya visheshta hai
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रहीम के नीतिपरक दोहों की विशेषता ये है कि रहीम ने थोड़े से शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी है। रहीम के दोहे एक व्यापक अर्थ लिये हुये है। उन्होंने अपने दोहों में शब्दों का इस सुंदरता से संयोजन किया है कि थोड़े से शब्द दो या चार पंक्तियों के दोहे में बड़ी-बड़ी गूढ बातें कह जाते हैं।
उदाहरण के लिये...
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।।
भावार्थ — इस दोहे में केवल शब्द पानी से तीन महत्वपू्र्ण बिंदुओं का वर्णन किया।
यहाँ पानी को मोती, मनुष्य और आटा (भोजन) के संदर्भ में प्रयुक्त किया है।
बिना पानी के मोती में चमक नही आती अर्थात वो पानी की सहायता से ही अपना स्वरूप धारण करता है। पानी के बिना मोती का कोई मूल्य नही।
पानी को मनुष्य की मान-मर्यादा के संदर्भ में प्रयुक्त करके उसका महत्व बताया गया है।
पानी को आटा के संदर्भ में प्रयुक्त करके भोजन के लिये पानी के महत्व को बताया गया है। यहाँ आटा पूरे भोजन का प्रतीक है। पानी के बिना किसी प्रकार का भोजन बनना संभव नही
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रहीम के नीतिपरक दोहों की विशेषता ये है कि रहीम ने थोड़े से शब्दों में बहुत बड़ी बात कह दी है। रहीम के दोहे एक व्यापक अर्थ लिये हुये है। उन्होंने अपने दोहों में शब्दों का इस सुंदरता से संयोजन किया है कि थोड़े से शब्द दो या चार पंक्तियों के दोहे में बड़ी-बड़ी गूढ बातें कह जाते हैं। रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।