Hindi, asked by janvisingh3493, 8 months ago

rahiman dhaga prem ka,mat toro chatkay! tute se fir na jure,jure ganth pad jat.

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Answered by 77arya
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answer:

ये रहीम के दोहे पाठ से लिया गया है इसमें कवि कहते है कि प्रेम रूपी धागा हो कभी तोडना नहीं चाहिए, अगर एक बार ये धागा टूट जाए तो हम से फिर से नहीं जोर पाते है, और जुड़ने पर उसमें गाथ पर जाता है और वह दोबारा पहले जैसे नहीं हो पाता

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