Hindi, asked by maryaratan, 11 months ago

Raidas ne chuachut ko lekar kya kaha hai

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Answered by snehanshydv
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Answer:

छुआछूत को लेकर रैदास ने क्या कहा है?

कहें रैदास सुनो भाई सन्तों, ब्राह्मण के है गुण तीन ।

मान हरे, धन सम्पत्ति लुटे और मति ले छीन ।।

– रैदासजात जात के फेर में उलझ रहे सब लोग ।

मनुष्यता को खा रहा, रैदास जात का रोग ।।

जात-जात में जात है, ज्यो केले में पात ।

रैदास मानस न जुड़ सके, जब तक जात न जात ।।

– रैदास

अर्थ- रैदास इस दोहे में ब्राह्मणों आर्यो की बनाई वर्ण-व्यवस्था जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना करते हुए कहते है की ब्राह्मणों का बनाया जातिवाद का यह ज़हर सब में फेल गया है. जिसे देखो वह जाति के इस घिन्होंने दलदल में उलझ रखा है। रैदास कहते है की जाति एक रोग है बिमारी है जो इंसान को खाय जा रही है जिससे इंसानो के अन्दर का इंसान ही ख़त्म हो रहा है. जाति से पनपे भेदभाव, छुआछूत, गैरबराबरी शोषण ने इंसानियत मानवता को ही ख़त्म कर दिया है । अपने दूसरे दोहे में रैदास कहते है की ब्राह्मणों ने इंसान को जातियों जातियो उसमे भी अनगिनत जातियो में बाँट रखा है । रैदास जातियो के इस विभाजन की तुलना केले के कमजोर तने से करते है जो केवल पतियों से ही बना होता है । जैसे केले के तने से एक पत्ते को हटाने पर दूसरा पत्ता निकल आता है ऐसे ही दूसरे को हटाने पर तीसरा चौथा पांचवा .. ऐसे करते करते पूरा पेड़ ही ख़त्म हो जाता है । उसी प्रकार इंसान जातियो में बटा हुआ है । जातियों के इस विभाजन में इंसान बटता बटता चला जाता है पर जाति ख़त्म नही होती, इंसान ख़त्म हो जाता है । इसलिए रैदास कहते है की जाति को ख़त्म करें. क्योकि इंसान तब तक जुड़ नही सकता,एक नही हो सकता, जब तक की जाति नही चली जाती ।

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