raidas ne ishwar ko badal kyu Bola ha
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रैदास ने भक्त और भगवान के सम्बन्ध में कहा है-वह प्रभु को चन्दन बताते हैं तो स्वयं को पानी। इसी पानी के साथ घिस-घिसकर वह चन्दन की सुगन्ध को प्राप्त करना चाहते हैं। वह भगवान को घन मानते हैं तो स्वयं को बादल, वह भगवान को दीपक तो अपने को उसकी बाती, भगवान को मोती तो स्वयं को धागा, भगवान को स्वामी तो अपने को दास मानते हैं।
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