Hindi, asked by username44, 1 year ago

Railway Station par nibhand in Hindi

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Answered by Anonymous
10

HEY MATE ,


रेलवेस्टेशन और रेलगाड़ी आज जीवन के बहुत महत्वपूर्ण अंग बन चुके है । रेलवे स्टेशन से सभी परिचित है ।बसों और बड़ी संख्या में हवाई जहाज तथा आने जाने के कई साधन होने के कारण भी रेलगाड़ियों का उपयोग काम नही है ।


आज रेल विभिन्न नगरो और प्रदेशो को जोडती है ।रेलवे प्लेटफॉर्म पर यात्रियो के लिए अनेक प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध रहती है।यात्रियों के बैठने के लिए बेंचें ,पीने के लिए पानी ,विश्रामआलय ,भोजनालय जैसी अनेक सुविधाएं उपलब्ध रहती है । यात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस होती है।उनके मार्ग दर्शन के लिए अधिकारी भी होते है ।

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बहुत अधिक होती है।


भीड़भाड़ का दृश्य रेलवे स्टेशन पर हमेशा बना रहता है ।


I HOPE IT'S HELP YOU

Answered by Anonymous
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_____________नमस्कार___________

______विषय:- रेलवे स्टेशन का दृश्य_______

आज का संसार चहल-पहल से भरपूर है। जहां भी जाओ चाहे वह बस अड्डा हो, चाहे सिनेमा का बाहरी भाग, हर जगह भिन्न भिन्न प्रकार के दृश्य देखने को मिलेंगे। रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म भी ऐसा स्थान है, जहां पर जाति व धर्म के लोग मिल जाते हैं।

जून माह में जब गर्मियों की छुट्टियां हुई तो मैंने देख ली जाने का निश्चय किया। सामान बांध कर उत्सुकता के कारण में एक घंटा पहले ही उस दिन रेलवे स्टेशन पर पहुंच गई। कुछ देर तो मैं वहां के प्रतीक्षा भवन में इधर-उधर घूमता रहा। थोड़ी देर बाद टिकट घर की खिड़की खुली और मैं टिकट लेने के लिए पंक्ति में खड़ी हो गई / गया। जो-जो गाड़ी आने का समय नजदीक आ रहा था भीड़ बढ़ती जा रही थी मुझे भी टिकट लेने में 10 मिनट लग गए। मेरा ध्यान अपने सामने रखे सामान की और हो रहा टिकट लेकर सामान उठाकर में प्लेटफार्म पर जा पहुंची।

वहां मुझे पिताजी की जान-पहचान के एक व्यक्ति मिल गए मैंने अपना सामान उनके पास रखा और घूमने के लिए चल पड़ी। प्लेटफॉर्म पर सैकड़ों मुसाफिर थे। कुछ बच्चों पर बैंचो थे। कुछ अपने बिस्तर पर बैठे थे। सभी लोग गाड़ी की प्रतीक्षा में थे। कोई उठ कर सिग्नल की ओर देख रहा था जो अभी डाउन नहीं हुआ था। वहां बैठे कुछ समाचार-पत्र पढ़ रहे थे। कुछ राजनीतिक विषय पर चर्चा कर रहे थे।

मैं भी गाड़ी की प्रतीक्षा में अब गई थी। समय बीत ही नहीं रहा था। घूमती-घूमती मैं बुक-स्टॉल पर चली गई और एक धार्मिक पुस्तक खरीद ली। इतने में गाड़ी आने की आवाज सुनाई दी। लोग उठ खड़े हुए, परंतु वह माल गाड़ी थी।

प्लेटफॉर्म पर चाय वाले अपनी भिन्न-भिन्न आवाजों में चाय गरम, पानी पानी, पकौड़े गरम, लस्सी, पूरी,

आज का ताजा अखबार आदि चिल्ला रहे थे। मैंने समय व्यतीत करने के लिए चाय का एक कप लेकर पीना शुरू किया। इतने में गाड़ी की आवाज सुनाई दी। प्रतीक्षा कर रहे लोगों में भगदड़ मच गई लोगों ने अपना सामान संभालना शुरू किया। कोई कुली को पुकार रहा था तो कोई अपने बच्चों का आवाज लगा रहा था। चाय वाले वह पानी वालों की आवाज और तेज हो गई। चलो-उत्तरों, लोगों की धक्का-मुक्की में मैंने खिड़की में से अपना सामान अंदर फेंका और अपनी जगह संभाली।

कुछ ही मिनटों में शोर कुछ कम हुआ। गार्डनर सिटी बजाई और हरी झंडी दिखाई तथा गाड़ी चल पड़ी। पहले गाड़ी धीरे-धीरे चल रही थी फिर कुछ तेज हुई। बाद में वह अपनी पूरी गति से दिल्ली की ओर बढ़ने लगी।

____________ धन्यवाद__________

username44: thanks actually topic Railway Station ka drashya tha thanks answer us par dene ke liye
Anonymous: your welcome
username44: can you give me the answer of one more question
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