Rain related poem in hindi for class eight
Answers
1-
आसमान पर छाए बादल
बारिश लेकर आए बादल
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में
ढोल-नगाड़े बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम, चम-चम
छम-छम नाच दिखाए बादल
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन
मधुर गीत सुनाए बादल
बूँदें टपके टप-टप, टप-टप
झमाझम जल बरसाए बाद ल
झरने बोले कल-कल, कल-कल
इनमें बहते जाए बादल
चेहरे लगे हँसने-मुसकाने
इतनी खुशियाँ लाए बादल
2-
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती – गाती बयार चली
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगी गली-गली
पाहुन ज्यों आये हों गाँव में शहर के।
पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाये
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाये
बांकीचितवन उठा नदी, ठिठकी, घूँघट सरके।
बूढ़े़ पीपल ने आगे बढ़ कर जुहार की
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
क्षितिज अटारी गदरायी दामिनि दमकी
‘क्षमा करो गाँठ खुल गयी अब भरम की’
बाँध टूटा झर-झर मिलन अश्रु ढरके
मेघ आये बड़े बन-ठन के, सँवर के।
3-
पानी आया… पानी आया…
गरज रहे बादल घनघोर
ठमक-ठमक कर नाचे मोर
पी-पी रटने लगा पपीहा
झन-झन-झन झींगुर का शोर
दूर कहीं मेंढक टर्राया
पानी आया… पानी आया…
रिमझिम-रिमझिम बूंदें आईं
खुशियों की सौगातें लाईं
पेड़ों के पत्तों ने भरभर
झूम-झूमकर तालियां बजाईं
गर्मी का हो गया सफाया
पानी आया… पानी आया…
भीग रहे कुछ छाता ताने
रानू-मोनू लगे नहाने
छप-छप-छप-छप करते फिरते
सपने जैसे हुए सयाने
बच्चों का मन है हर्षाया
4-
मुखिया के टपरे हरियाये
बनवारी के घाव
सावन की झांसी में गुमसुम
भीग रहा है गाँव
धन्नो के टोले का तो
हर छप्पर छलनी है
सब की सब रातें अब तो
आँखों में कटनी हैं
चुवने घर में कहीं नहीं
खटिया भर सूखी ठाँव
निंदियारी आँखें लेकर
खेतों में जाना है
रोपाई करते करते भी
कजली गाना है
कीचड़ में ही चलते चलते
सड़ जाएंगे पाँव
5-
निशि के तम में झर झर
हलकी जल की फूही
धरती को कर गई सजल ।
अंधियाली में छन कर
निर्मल जल की फूही
तृण तरु को कर उज्जवल !
बीती रात,…
धूमिल सजल प्रभात
वृष्टि शून्य, नव स्नात ।
अलस, उनींदा सा जग,
कोमलाभ, दृग सुभग !
कहाँ मनुज को अवसर
देखे मधुर प्रकृति मुख ?
भव अभाव से जर्जर,
प्रकृति उसे देगी सुख ?
6-
बूँद टपकी एक नभ से,
किसी ने झुक कर झरोके से
कि जैसे हंस दिया हो,
हंस रही – सी आँख ने जैसे
किसी को कस दिया हो;
ठगा – सा कोई किसी की आँख
देखे रह गया हो,
उस बहुत से रूप को रोमांच रोके
सह गया हो।
बूँद टपकी एक नभ से,
और जैसे पथिक
छू मुस्कान, चौंको और घूमे
आँख उस की, जिस तरह
हंसती हुई – सी आँख चूमे,
उस तरह मै ने उठाई आँख
बादल फट गया था,
चन्द्र पर अत हुआ – सा अभ्र
थाड़ा हट गया था।
बूँद टपकी एक नभ से
ये कि जैसे आँख मिलते ही
झरोका बंद हो ले,
और नूपुर ध्वनि झमक कर,
जिस तरह दुत छंद हो ले,
उस तरह बादल सिमट कर,
चन्द्र पर छाय अचानक,
और पानी के हज़ारों बूँद
तब आये अचानक।
7-
काली घटा छाई है
लेकर साथ अपने यह
ढेर सारी खुशियां लायी है
ठंडी ठंडी सी हव यह
बहती कहती चली आ रही है
काली घटा छाई है
कोई आज बरसों बाद खुश हुआ
तो कोई आज खुसी से पकवान बना रहा
बच्चों की टोली यह
कभी छत तो कभी गलियों में
किलकारियां सीटी लगा रहे
काली घटा छाई है
जो गिरी धरती पर पहली बूँद
देख ईसको किसान मुस्कराया
संग जग भी झूम रहा
जब चली हवाएँ और तेज
आंधी का यह रूप ले रही
लगता ऐसा कोई क्रांति अब सुरु हो रही
छुपा जो झूट अमीरों का
कहीं गली में गढ़ा तो कहीं
बड़ी बड़ी ईमारत यूँ ड़ह रही
अंकुर जो भूमि में सोये हुए थे
महसूस इस वातावरण को
वो भी अब फूटने लगे
देख बगीचे का माली यह
खुसी से झूम रहा
और कहता काली घटा छाई है
साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है ।
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