'रजनी की लाज' को स्पष्ट करने के लिए नीचे चार अर्थ दिये गये हैं, इनमें से सही अर्थ
छाँटकर लिखिए-
(क) अन्धकार
(ख) शर्म
(ग) दुःख
(घ) आलस्य
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ans eska b hoga.......
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इसका सही जवाब होगा :
(क) अन्धकार
व्याख्या :
'रजनी की लाज' का तात्पर्य है कि अधंकार।
‘जागो जीवन के प्रभात’ कविता में कवि कहता है कि सुबह होने से रजनी की लाज यानि रात्रिकालीन साज-सज्जा यानी अंधकार के काल की अवधि बीत गई है, इसलिए अब जाग जाओ। सुबह पक्षियों का जो मधुर कलरव वातावरण में गूंज रहा है, उससे गले मिलो और उन सब का अभिनंदन करो। पूरब की दिशा से जागृति की हवा बहने लगी है। इस प्रातः काल की बेला में जागकर नवजीवन का संचार करो।
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