History, asked by sandra3316, 10 months ago

Rajasthan kashtkari adhiniyam 1955 in hindi

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Answered by sangeethaaloor
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Explanation:

राजस्थान काश्तकारी अधिनियम दिनांक 15 अक्टूबर 1955 से लागू हुआ । इसका विस्तार संपूर्ण राजस्थान राज्य में है। आबू अजमेर और सुनेल क्षेत्र के लिए यह 15 जून 1958 से लागू हुआ।

काश्तकार – पूर्ण रूप से या मुख्य रूप से जीवन निर्वाह हेतु अपने द्वारा या नौकरों के द्वारा या अभिधारियों के द्वारा कृषि करना।

बिस्वेदार- बिस्वेदार से मतलब ऐसे व्यक्ति से होगा जिसे राज्य के किसी भाग में कोई गांव अथवा गांव का कोई भाग प्रथा अनुसार दिया जाता है तथा जो अधिकार अभिलेख में बिस्वेदार अथवा स्वामी के रूप में दर्ज किया जाता है।

भू संपत्ति-  भू संपत्ति से मतलब जागीरदार प्रथा आधारित जागीदार या जागीर भूमि में हित से होगा और इसमें बिस्वेदार या जमींदार द्वारा धारित भूमि या भूमि का हित भी सम्मिलित होगा।

अनुदान-  अनुदान से मतलब राज्य के किसी भाग में भूमि धारण करने या भूमि में हित रखने के अनुदान अथवा अधिकार से होगा और वह व्यक्ति जिसे अधिकार दिया जाए उसका अनुदानग्रहीता कहलाएगा।

इजारा या ठेका-  इजारा या ठेका से तात्पर्य लगान की वसूली हेतु दिए गए फार्म अथवा पट्टे से है।

जागीरदार- जागीरदार से तात्पर्य ऐसे किसी भी व्यक्ति से है जो राज्य के किसी स्थान में जागीर भूमि या जागीर भूमि में हितों का धारण करता हो अथवा किसी लागू जागीर कानून के अधीन जागीरदार के रूप में मान्य हो।

खुदकाश्त- खुदकाश्त से अभिप्राय राज्य के किसी भाग में किसी भू संपत्ति धारी द्वारा स्वयं काश्त की गई भूमि से होगा।

भूमि धारी –  भूमि धारी से तात्पर्य राज्य के किसी ऐसे भाग में, उस व्यक्ति से है जो चाहे जिस भी नाम से जाना जाए जो लगान देता है। इसमें निम्न शामिल है-

भू संपत्ति धारी,

उचित लगान दर पर अनुदानग्रहीता,

उप पट्टे की दशा में मुख्य आसामी जिसने भूमि शिकवी- किराए पर उठाई हो,

इजारेदार या ठेकेदार,

साधारणतया प्रत्येक व्यक्ति जो प्रकृष्टधारी है, उन व्यक्तियों के प्रसंग में जो भूमि सीधे उससे लेकर या उसके अधीन धारण करते हैं।

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