रजवाड़ी के भारतीय संघ में विलय में आने वाली समस्याओं का उल्लेख कीजिए
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स्वतंत्रता से पहले ही अंग्रेजी शासन ने घोषणा कर दी थी कि भारत की आजादी के साथ ही सभी रजवाड़े (जिनकी संख्या 565 थी) कानूनी तौर पर आजाद हो जाएंगे ।
अंग्रेजी-राज का नज़रिया था की रजवाड़े अपनी मर्जी से चाहे तो भारत या पाकिस्तान मे शामिल हो सकते है या अपना स्वतंत्र अस्तित्व बना सकते है ।
यह फैसला लेने का अधिकार राजाओ को दिया गया ना की उनकी प्रजा को ।
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