Hindi, asked by AyushRKallingal, 6 months ago

rajim ke dohe class 9 full notes
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Answers

Answered by anchalsingh0087
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रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।

टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय॥

प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है जिसे कभी भी झटके से तोड़ नहीं देना चाहिए बल्कि उसकी हिफाजत करनी चाहिए। क्योंकि जब कोई धागा एक बार टूट जाता है तो फिर उसे जोड़ा नहीं जा सकता। जोड़ने की कोशिश में उस धागे में गाँठ पड़ जाती है। किसी से रिश्ता जब एक बार टूट जाता है तो फिर उस रिश्ते को दोबारा जोड़ा नहीं जा सकता।

रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।

सुनि अठिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहै कोय॥

अपने दर्द को दूसरों से छुपा कर ही रखना चाहिए। जब आपका दर्द किसी अन्य को पता चलता है तो लोग उसका मजाक ही उड़ाते हैं। कोई भी आपके दर्द को बाँट नहीं सकता।

एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।

रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय॥

एक बार में कोई एक कार्य ही करना चाहिए। एक काम के पूरा होने से कई काम अपने आप हो जाते हैं। यदि एक ही साथ आप कई लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तो कुछ भी हाथ नहीं आता। यह वैसे ही है जैसे जड़ में पानी डालने से ही किसी पौधे में फूल और फल आते हैं।

चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध-नरेस।

जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस॥

जब राम को बनवास मिला था तो वे चित्रकूट में रहने गये थे। चित्रकूट घनघोर वन में होने के कारण रहने लायक जगह नहीं थी। ऐसी जगह पर वही रहने जाता है जिस पर कोई भारी विपत्ति आती है।

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।

ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं॥

किसी भी दोहे में कम शब्दों में ही बहुत बड़ा अर्थ छिपा होता है। यह वैसे ही होता है जैसे नट की कुंडली होती है। नट अपनी कुंडली में सिमट कर तरह तरह के विस्मयकारी करतब दिखा देता है।

धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पियत अघाय।

उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय॥

कीचड़ में पाया जाने वाला थोडा सा पानी ही धन्य है क्योंकि उस पानी से कितने छोटे-छोटे जीवों की प्यास बुझती है। सागर का जल विशाल मात्रा में होते हुए भी व्यर्थ होता है क्योंकि उस जल से किसी की प्यास नहीं बुझती।

नाद रीझि तन देत मृग, नर धन देत समेत।

ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत॥

हिरण किसी के संगीत से खुश होकर अपना शरीर न्योछावर कर देता है। इसी तरह से कुछ लोग दूसरे के प्रेम से खुश होकर अपना सब कुछ दे देते हैं। लेकिन कुछ लोग पशु से भी बदतर होते हैं जो दूसरों से तो बहुत कुछ ले लेते हैं लेकिन बदले में कुछ भी नहीं देते हैं।

बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।

रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय॥

कोई बात जब एक बार बिग़ड़ जाती है तो लाख कोशिश के बावजूद उसे ठीक नहीं किया जा सकता। यह वैसे ही है जैसे जब दूध एक बार फट जाये तो फिर उसको मथने से मक्खन नहीं निकलता।

रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि।

जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि॥

किसी बड़ी चीज को देखकर किसी छोटी चीज की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि जहाँ छोटी चीज की जरूरत होती है वहाँ पर बड़ी चीज बेकार हो जाती है। जैसे जहाँ सुई की जरूरत होती है वहाँ तलवार का कोई काम नहीं होता।

रहिमन निज संपति बिन, कौ न बिपति सहाय।

बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय॥

जब आपके पास धन नहीं होता है तो कोई भी विपत्ति में आपकी सहायता नहीं करता। यह वैसे ही है जैसे यदि तालाब सूख जाता है तो कमल को सूर्य जैसा प्रतापी भी नहीं बचा पाता है।

रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून॥

पानी हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि पानी के बगैर जीवन असंभव है। बिना पानी के न तो मोती बनता है, न चूना और पानी के बिना मनुष्य जीवन भी असंभव है।

Answered by shahidaahmed12111980
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Answer:

प्रस्तुत पाठ में रहीम के नीतिपरक दोहे दिए गए हैं। यहाँ दिया गया हर एक दोहा हमारे जीवन की किसी न किसी स्थिति से जुड़ा हुआ है।

पहले दोहे में रहीम जी कहते हैं कि प्रेम का बंधन किसी धागे के समान होता है, जिसे कभी भी झटके से नहीं तोड़ना चाहिए क्योंकि जब कोई धागा एक बार टूट जाता है तो फिर उसे जोड़ा नहीं जा सकता। उसी प्रकार किसी से रिश्ता जब एक बार टूट जाता है तो फिर उस रिश्ते को दोबारा पहले की तरह जोड़ा नहीं जा सकता।

दूसरे दोहे में रहीम जी कहते हैं कि अपने मन की पीड़ा या दर्द को दूसरों से छुपा कर ही रखना चाहिए। क्योंकि जब आपका दर्द किसी अन्य व्यक्ति को पता चलता है तो वे लोग उसका मजाक ही उड़ाते हैं। तीसरे दोहे में रहीम जी कहते हैं कि एक बार में केवल एक कार्य ही करना चाहिए। एक ही साथ आप कई लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करेंगे तो कुछ भी हाथ नहीं आता।

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