rajnetik dakhal shiksha ke gunvata me badhak hai Hindi debate
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राजनैतिक दखल ने शिक्षा की गुणवत्ता को पूरी तरह से प्रभावित कर रखा है।
राजनैतिक दखल से शिक्षा का बंटाधार ही हुआ है। सरकारें आती हैं जाती हैं। हर पार्टी की अपनी विचारधार होती है। एक विशेष विचारधारा वाली पार्टी जब सत्ता संभालती है तो वो अपनी पूर्ववर्ती सरकार की विचारधारा को नकारते हुये उसकी सारी योजनाओं को निरस्त करने का प्रयत्न करती है। शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नही है।
हर पार्टी के अपने नेता हैं अपने-अपने आदर्श होते हैं। हमारे देश में सभी पार्टियों के अपने-अपने महापुरुष हैं। जो पार्टी सत्ता में होती वो अपने महापुरुष को ही महिमामंडित करने की कोशिश करती है। शिक्षा का क्षेत्र किसी पार्टी की विचारधारा को आगे बढ़ाने का सबसे आसान हथियार बन गया है।
पाठ्य-पुस्तकों में अपनी विचारधारा के अनुसार तथ्यों से छेड़छाड़ किया जाता है। जो पार्टी सत्ता में और जो-जो व्यक्ति उस पार्टी के आदर्श रहें हों और जिनकी विचारधारा पर वो पार्टी चलती हो, उन्हे महिमा मंडित करने के लिये पाठ्य-पुस्तकों में नये पाठ जोड़े जाते हैं। पूर्ववर्ती सरकार जो किसी दूसरी पार्टी की थी, उसके पार्टी की विचारधारा वाले महापुरुषों के बारे जो कुछ पाठ्यपुस्तकों में होता है उनमें कमी की जाती।
कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि प्रत्येक सत्ताधारी पार्टी अपनी विचारधारा के अनुसार शिक्षा को चलाना चाहती है जोकि उचित नही है। हम सबको एक सर्वमान्य विचारधारा के अनुसार शिक्षा का विकास करना चाहिये । सरकारें बदलती रहें पर उनकी विचारधारा के अनुसार शिक्षा में बदलाव न हो और एक अपरिवर्तनीय व्यवस्था कायम रहे। तभी शिक्षा का कल्याण हो सकता है वरना शिक्षा के स्तर में गिरावट निश्चित है।