rajniti sidhant kiya he
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गुल्ड और कोल्ब ने राजनीतिक सिद्धांत की काफी-कुछ व्यापक परिभाषा करते हुए कहा है कि यह 'राजनीति विज्ञान का एक उप-क्षेत्रा है, 'जिसमें निम्नलिखित का समावेश है: ;पद्ध राजनीतिक दर्शनµराजनीति का एक नैतिक सिद्धांत और राजनीतिक विचारों का एक ऐतिहासिक अध्ययन, ;पपद्ध एक वैज्ञानिक मापदंड, ;पपपद्ध राजनीतिक विचारों का भाषार्इ विश्लेषण, और ;पअद्ध राजनीतिक व्यवहार के बारे में सामान्यीकरणों की खोज और उनका व्यवसिथत विकास। हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि बुनियादी तौर पर राजनीतिक सिद्धांत का संबंध दार्शनिक तथा आनुभविक दोनों दृषिटयों से राज्य की संघटना से है। राज्य तथा राजनीतिक संस्थाओं के बारे में स्पष्टीकरण देने, उनका वर्णन करने और उनके संबंध में श्रेयस्कर सुझाव देने की कोशिश की जाती है। बेशक, नैतिक दार्शनिक प्रयोजन का अध्ययन तो उसमें अंतर्निहित रहता ही है। चिंतक वाइन्स्टाइन ने गागर में सागर भरते हुए कहा था कि राजनीतिक सिद्धांत मुख्यत: एक ऐसी संक्रिया है जिसमें प्रश्न पूछे जाते हैं, उन प्रश्नों के उत्तरों का विकास किया जाता है और मानव प्राणियों के सार्वजनिक जीवन के संबंध में काल्पनिक परिपे्रक्ष्यों की रचना की जाती है। जो प्रश्न पूछे जाते हैं वे कुछ इस तरह के होते हैं: राज्य का स्वरूप और प्रयोजन क्या है? राजनीतिक संगठन के साध्यों, लक्ष्यों और पद्धतियों के बारे में हम कैसे निर्णय करें? राज्य और व्यä किे बीच संबंध क्या है और क्या होना चाहिए? इतिहास के पूरे दौर में राजनीतिक सिद्धांत इन प्रश्नों के उत्तर देता रहा है। इसे इसलिए महत्त्वपूर्ण माना गया है क्योंकि मनुष्य का भाग्य इस बात पर निर्भर होता है कि शासकों और शासितों को किस प्रकार की प्रणाली प्राप्त हो पाती है और जो प्रणाली प्राप्त होती है उसके फलस्वरूप क्या सामान्य भलार्इ के लिए संयुä कार्यवाही की जाती है।