rajy sampati or dhram pr gadhiji ke vichar.
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गांधी जी के अनुसार, "राज्य एक संगठित तरीके से हिंसा का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति के पास एक आत्मा है लेकिन राज्य एक नि: स्वार्थ साधन की तरह है। इसको हिंसा से कभी भी अलग नहीं किया जा सकता कयोंकि हिंसा ही इसकी उत्पत्ति का स्रोत है।
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