Rajya aur sangsasit Chetra Mai kya antar hai
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प्र. :- राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में क्या अंतर है? राज्य ज्यादा शक्तिशाली होते हैं या केंद्र शासित प्रदेश।
उ. :- संविधान की अनुसूची 1 के अनुसार इस समय भारत संघ में 28 राज्य और 7 संघ राज्य क्षेत्र सम्मिलित हैं। प्रत्येक राज्य की अपनी सरकार और विधायिका हैं। संघ और राज्यों के बीच शक्तियों का वितरण अनुच्छेद 245-246 और सातवीं अनुसूची की प्रविष्टियों के अनुसार सुनिश्चित होता है।
संघ राज्य क्षेत्र सिद्धांततः ऐसे क्षेत्र होते हैं जिनका प्रशासन सीधे संघ के हाथों में होता है। संसद विधि द्वारा संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासन की व्यवस्था कर सकती है।
‘केंद्र शासित प्रदेश’ शब्दबंध का प्रयोग बोलचाल में किया जा सकता है किंतु नितांत सही नहीं है। संविधान ‘संघ राज्य क्षेत्र’ अथवा ‘यूनियन टेरीटरीज़’ शब्दबंध का प्रयोग करता है।
संघ-राज्य क्षेत्रों का प्रशासन राष्ट्रपति अपने द्वारा नियुक्त प्रशासक के माध्यम से करेगा। प्रशासक को सामान्यतया उपराज्यपाल कहा जाता है। राष्ट्रपति किसी पड़ोसी राज्य के राज्यपाल को भी किसी संघ-राज्य क्षेत्र का प्रशासक नियुक्त कर सकता है। इस प्रकार नियुक्त राज्यपाल प्रशासक के कृत्यों का निर्वाह राज्य की मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना स्वतंत्र रूप से करेगा (अनुच्छेद 239)। संसद विधि द्वारा किसी संघ-राज्य क्षेत्र के लिए विधान मंडल तथा मंत्रिपरिषद का सृजन कर सकती है। ऐसा विधान मंडल तथा मंत्रिपरिषद पुडुचेरी संघ-राज्य क्षेत्र एवं दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए बन चुका है। अंडमान और निकोबार द्वीपों के संघ-राज्य क्षेत्र के लिए विधान मंडल के स्थान पर एक नामनिर्देशित निकाय है (अनुच्छेद 239क)। संघ-राज्य क्षेत्र का प्रशासक राज्यों के राज्यपालों की भांति अध्यादेश जारी कर सकता है (अनुच्छेद 239ख)। सिवाय उन संघ-राज्य क्षेत्रों के जहां विधान मंडल कार्य कर रहा हो, अन्य सभी ऐसे राज्य क्षेत्रों की शांति, प्रगति तथा सुशासन के लिए राष्ट्रपति को विनियम बनाने की शक्ति प्राप्त है (अनुच्छेद 239 क तथा 240)। संसद विधि द्वारा किसी संघ राज्य क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय का गठन कर सकेगी या उसके प्रयोजनों के लिए किसी न्यायालय को उच्च न्यायालय घोषित कर सकेगी (अनुच्छेद 241)।
स्पष्ट है कि संविधान के अनुसार राज्यों को कुछ अपनी शक्तियां प्राप्त हैं जबकि संघ राज्य क्षेत्रों का प्रशासन संघ सरकार के ऊपर निर्भर होगा। जहां, जैसे पुडुचेरी और दिल्ली में, विधान सभा हैं भी, उनकी शक्तियां और अधिकार क्षेत्र सीमित हैं।
प्र. :- कैबिनेट मंत्री यदि अपना त्यागपत्र देना चाहे तो किसे देगा और उसके बाद उस पद को कौन संभालेगा?
उ. :- मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं। सभी मंत्री राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर बने रहते हैं। यदि किसी मतभेद के कारण अथवा व्यक्तिगत कारणों से कोई व्यक्ति अपने पद भार से मुक्त होना चाहे तो वह अपना त्यागपत्र प्रधानमंत्री को दे सकता है। यदि प्रधानमंत्री त्यागपत्र को स्वीकार किए जाने की सलाह के साथ राष्ट्रपति के पास भेजते हैं तो त्यागपत्र को राष्ट्रपति स्वीकार कर लेते हैं। यह प्रधानमंत्री पर निर्भर है कि वह रिक्त पद का दायित्व स्वयं संभालें, किसी अन्य मंत्री को अतिरिक्त भार के रूप में सौंपे या फिर किसी नए मंत्री का चयन करें।