‘रक्त एवं लौह नीति’ किसकी देन है?
A. बिस्मार्क
B. हिटलर
C. गैरीबाल्डी
D. मुसोलिनी
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रक्त और लोहा सन् 1862 में जर्मन नेता बिस्मार्क द्वारा दिए गए एक भाषण का शीर्षक था जो आगे चलकर एक नाराबन गया। जर्मन में इसका मूल रूप "ब्लूट उन्ट आइज़ॅन" (Blut und Eisen) था, जिसका अंग्रेजी में अनुवादित रूप "ब्लड ऐण्ड आयरन" (Blood and Iron) है। यह भाषण बिस्मार्क ने जर्मनी के भिन्न राज्यों को इकठ्ठा गूंथकर एक राष्ट्र बनाने के विचार को आगे बढ़ाने के लिए दिया था। इस ख़िताब से वह अपने राज्य प्रुशिया को इस अभियान में नेतृत्व के लिए उकसाना चाहते थे। उनका कहना था के यह ध्येय उदारता के सिद्धांतों को अपनाने से नहीं बल्कि बल और साहस दिखने से प्राप्त होगा। उनके भाषण के अंतिम वाक्य थे |
"जर्मनी में प्रुशिया की भूमिका उसकी उदारता से नहीं बल्कि उसके बल से तय होगी ... प्रुशिया को अपनी ताक़त पर ध्यान देकर सही मौक़े की प्रतीक्षा करनी चाहिए, जो पहले भी कई दफ़ा आकर जा चुका है। वियेना की संधियों के बाद हमारी सरहदें एक अच्छा राजनैतिक वातावरण बनाने के अनुकूल नहीं हैं। आज के ज़माने के बड़े सवालों के जवाब भाषणों और बहुमत के आधार पर फ़ैसले करने से नहीं बल्कि लोहे और ख़ून (आइज़ॅन उन्ट ब्लूट) से मिलेंगे."
"जर्मनी में प्रुशिया की भूमिका उसकी उदारता से नहीं बल्कि उसके बल से तय होगी ... प्रुशिया को अपनी ताक़त पर ध्यान देकर सही मौक़े की प्रतीक्षा करनी चाहिए, जो पहले भी कई दफ़ा आकर जा चुका है। वियेना की संधियों के बाद हमारी सरहदें एक अच्छा राजनैतिक वातावरण बनाने के अनुकूल नहीं हैं। आज के ज़माने के बड़े सवालों के जवाब भाषणों और बहुमत के आधार पर फ़ैसले करने से नहीं बल्कि लोहे और ख़ून (आइज़ॅन उन्ट ब्लूट) से मिलेंगे."
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रक्त और लोहे की नीति बिस्मार्क ने दी थी
सन 1962 में उनके द्वारा जर्मन में एक स्पीच दिया गया था उसमें उसने रक्त और लोहे की नीति दे दे नीति दी थी
hope you understand
रक्त और लोहे की नीति बिस्मार्क ने दी थी
सन 1962 में उनके द्वारा जर्मन में एक स्पीच दिया गया था उसमें उसने रक्त और लोहे की नीति दे दे नीति दी थी
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