Biology, asked by sachinbarde7136, 2 months ago

रक्त के द्विसंचरण से आप क्या समझते है​

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Answered by hritikkumar6282
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Answer:

परिसंचरण तंत्र या वाहिकातंत्र (circulatory system) अंगों का वह समुच्चय है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच पोषक तत्वों का यातायात करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप एवं pH स्थिर बना रहता है। अमिनो अम्ल, विद्युत अपघट्य, गैसें, हार्मोन, रक्त कोशिकाएँ तथा नाइट्रोजन के अपशिष्ट उत्पाद आदि परिसंचरण तंत्र द्वारा यातायात किये जाते हैं। केवल रक्त-वितरण नेटवर्क को ही कुछ लोग वाहिका तंत्र मानते हैं जबकि अन्य लोग लसीका तंत्र को भी इसी में सम्मिलित करते हैं।

मानव का परिसंचरण तंत्र ; यहाँ लाल रंग आक्सीजनयुक्त रक्त का सूचक है तथा नीला रंग आक्सीजनरहित रक्त का सूचक है।

गर्भ का वाहिकातन्त्र

मानव एवं अन्य कशेरुक प्राणियों का परिसंचरण तंत्र, "बन्द परिसंचरण तंत्र" होता है (इसका मतलब है कि रक्त कभी भी धमनियों, शिराओं, एवं केशिकाओं के जाल से बाहर नहीं जाता)। अकशेरुकों के परिसंचरण तंत्र, 'खुले परिसंचरण तंत्र' हैं। बहुत से तुच्छ (primitive animal) में परिसंचरन तंत्र होता ही नहीं। किन्तु सभी प्राणियों का लसीका तंत्र एक खुला तंत्र होता है।

वाहिकातंत्र हृदय, धमनियों तथा शिराओं के समूह का नाम है। धमनियों और शिराओं के बीच केशिकाओं का विस्तृत समूह भी इसी तंत्र का भाग है। इस तंत्र का काम शरीर के प्रत्येक भाग में रुधिर को पहुँचाना है, जिससे उसे पोषण और ऑक्सीजन प्राप्त हो सकें। इस तंत्र का केंद्र हृदय है, जो रुधिर को निरंतर पंप करता रहता है और धमनियाँ वे वाहिकाएँ हैं जिनमें होकर रुधिर अंगों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है। केशिकाओं के रुधिर से पोषण और ऑक्सीजन ऊतकों में चले जाते हैं और इस पोषण और ऑक्सीजन से विहीन रुधिर को वे शिरा में लौटाकर हृदय में लाती हैं जो उसको फुप्फुस में ऑक्सीजन लेने के लिए भेज देता है। आंत्र से अवशोषित होकर पोषक अवयव भी इस रुधिर में मिल जाते हैं और फिर से इस रुधिर को अंगों में ऑक्सीजन तथा पोषण पहुँचाने के लिए धमनियों द्वारा भेज दिया जाता है।

Answered by aadil1290
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एक व्यक्ति (दाता) से दूसरे व्यक्ति (प्राप्तकर्ता) के रक्त प्रवाह में रक्त या रक्त के घटकों का स्थानांतरण।रक्त आधान एक जीवन रक्षा कुशलता के रूप में किया जा सकता है। रक्त कोशिकाओं को बदलने के लिए या रक्तस्त्राव के कारण हुई रक्त वस्तुओं को बदलने या अस्थि मज्जा में कमी के कारण।

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