रक्त में सकरा कि नियंत्रण के क्षेत्र में इंसुलिन हार्मोन की भूमिका का उल्लेख करें
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मधुसूदनी (इंसुलिन) (रासायनिक सूत्र:C45H69O14N11S.3H2O) अग्न्याशय यानि पैंक्रियाज़ के अन्तःस्रावी भाग लैंगरहैन्स की द्विपिकाओं की बीटा कोशिकाओं से स्रावित होने वाला एक जन्तु हार्मोन[2] है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह एक पेप्टाइड हार्मोन है जिसकी रचना ५१ अमीनो अम्ल से होती है। यह शरीर में ग्लूकोज़ के उपापचय को नियंत्रित करता है। पैंक्रियाज यानी अग्न्याशय एक मिश्रित ग्रन्थि है जो आमाशय के नीचे कुछ पीछे की ओर स्थित होती है। भोजन के कार्बोहइड्रेट अंश के पाचन के पश्चातग्लूकोज का निर्माण होता हैं। आंतो से अवशोषित होकर यह ग्लूकोज रक्त के माध्यम से शरीर के सभी भागों में पहुंचता है। शरीर की सभी सजीव कोशिकाओं में कोशिकीय श्वसन की क्रिया होती है जिसमें ग्लूकोज के विघटन से ऊर्जा उत्पन्न होती है जिसका जीवधारी विभिन्न कार्यों में प्रयोग करते हैं।[3] ग्लूकोज के विघटन से शरीर को कार्य करने, सोचने एवं अन्य कार्यों के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है।
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इंसुलिन की भूमिका
Dr. Trupti Shirole द्वारा लिखित | Shaila Shroff द्वारा समिक्षित लेख on Sep 25 2017 4:12AM
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मधुमेह
इंसुलिन की भूमिका
इंसुलिन शरीर के चयापचय (मेटाबॉलिज्म) का प्रमुख नियन्त्रक हैं, यह अग्न्याशय (पैनक्रियाज) के द्वारा उत्पादित की जाती हैं। बीटा कोशिकाएं इंसुलिन का उत्पादन करती हैं। अग्न्याशय (पैनक्रियाज) द्वारा अन्य हारमोन जो निर्मित किये जाते हैं, वह हैं ग्लूकागोन जिसका इंसुलिन के समान ही प्रतिकूल असर होता हैं। इंसुलिन एक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला हैं।
इंसुलिन भोजन करने के 10-मिनट के भीतर अपने चरम स्तर तक बढ़ जाती हैं। तब इंसुलिन ग्लूकोज और अमीनो एसिड को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने में सक्षम करती हैं, विशेष रूप से मांसपेशी और यकृत कोशिकाओं में । यहां इंसुलिन और अन्य हार्मोन यह निश्चित करते हैं कि इन पोषक तत्वों को ऊर्जा बनाने के लिए या भविष्य के उपयोग के लिए संग्रहीत करने के लिये किया जाये।
(मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र इंसुलिन पर निर्भर नहीं होते; वे अन्य तंत्र के माध्यम से अपनी ग्लूकोज आवश्यकताओं को नियंत्रित करते हैं।)
इंसुलिन लीवर (यकृत) द्वारा ग्लूकोज के उत्पादन को भी नियंत्रण में रखती हैं। जब इंसुलिन का स्तर अधिक होता हैं, तब लीवर ग्लूकोज का निर्माण बंद कर देता हैं और इसे अन्य रूप में तब तक संग्रह कर के रखता हैं जब तक शरीर को फिर से इसकी आवश्यकता नहीं पड़ती। रक्त शर्करा का स्तर जब उच्च स्तर तक पहुंच जाता हैं, तो अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन कम कर देता हैं। भोजन के लगभग दो से चार घंटे बाद तक रक्त ग्लूकोज और इंसुलिन अपने निचले स्तर पर होते हैं, पर इस समय इंसुलिन का स्तर थोड़ा अधिक होता हैं। तब रक्त शर्करा को उपवास में रक्त शर्करा की सघनता (फास्टिंग ब्ल्ड ग्लूकोज कन्सन्ट्रैशन) के रूप में उल्लिखित किया जाता हैं।