Hindi, asked by sanjypatel399, 7 months ago

रक्तदान को एक संस्कार के रूप मे क्यो नही विकसित किया जा सका ​

Answers

Answered by abhinav214857
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Explanation:

i dont no the answer of this question

Answered by minaxijpatel7171
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Answer:

रक्तदान करने से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता ।

रक्तदान को समस्त विश्व में सबसे बड़ा दान माना गया है क्योंकि रक्तदान ही है जो न केवल किसी जरूर जरूर जाता है कि जिंदगी भर उस परिवार के जीवन में खुशियों के रंग भी भरता है । कल्पना कीजिए कि कोई व्यक्ति रक्त के अभाव में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहा है और आप एक का एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आते हैं और अपने द्वारा किए गए रक्तदान से उसकी जीवन जिंदगी बस जाती है तो आपको कितनी खुशी होगी ।हालांकि एक समय था जब चिकित्सक विश्व विज्ञान इतना विकसित नहीं था और किसी को पता ही नहीं था कि किसी दूसरे व्यक्ति का रक्त चढ़ाकर किसी मरीज का जीवन बचाया जा सकता है ।समय रक्त के अभाव में उस समय होने वाली मौतों का आंकड़ा बहुत ज्यादा था किंतु अब स्थिति बिल्कुल अलग है लेकिन फिर भी यह विडंबना ही कही जाएगी कि रक्तदान के महत्व को जानते समझते हुए भी रक्त के अभाव में आज भी दुनिया भर में हर साल करोड़ों लोग उसमें ही काल के ग्रास बन जाते हैं जिनमें अकेले भारत में ही रक्त की कमी के चलते होने वाली ऐसी मौतों की संख्या करीब 20 लाख होती है जो कि देश में प्रतिवर्ष करीब 25 लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है ।दरअसल रक्तदान के महत्व को लेकर किए जाते हैं प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी बहुत से लोगों के दिलो-दिमाग में रक्तदान को लेकर कुछ गलत धारणाएं विद्यमान है जैसे रक्तदान करने से संक्रमण का खतरा रहता है शरीर में कमजोरी आती है बीमारियां शरीर को जकड़ सकती है या एक एचआईवी जैसी बीमारी हो सकती है ।

इस तरह की भ्रांतियों को लेकर लोगों को जागृत करने के प्रयास किए जाते रहे हैं किंतु अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी है ।स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार रक्तदान करने से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता बल्कि रक्तदान से तो शरीर को कई फायदे ही होते हैं ।जहां तक रक्तदान के संक्रमण की बात है तो सभी स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा रक्त लेते समय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक तरीके अपनाए जाते हैं इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। 18 साल से अधिक उम्र का शारीरिक रूप से स्वस्थ कम से कम 45किलो से अधिक वजन का कोई भी व्यस्क स्वेच्छा से कम से कम 3 माह के अंतराल हर साल में 3 - 4बार रक्तदान कर सकता है ।कुछ लोगों को रक्तदान के समय हल्की कमजोरी का एहसास हो सकता है किंतु यह चंद के लिए अस्थाई ही होता है ।उसके उलट रक्तदान के फायदों की चर्चा करें तो रक्तदान करते रहने से खून की प्राकृतिक रूप से सफाई होती है और रक्त कुछ पल पतला हो जाने से उनमें थक्के . नहीं जानते जिससे हार्ड अटैक की संभावना बेहद कम हो जाती है ।रक्तदान के बाद शरीर में जो नई ब्लड सेल्स बनते हैं उसमें किसी भी बीमारी से लड़ने की अपेक्षाकृत अधिक ताकत होती है और यह स्वच्छ व ताजा रक्त शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार होता है जिससे न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप नियंत्रित रहता है बल्कि कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों से बचाव कुछ हद तक मोटापे पर नियंत्रण तथा कई संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है ।रक्त में आयरन की मात्रा नियंत्रित हो जाने से लीवर की कार्य क्षमता बढ़ जाती है ।

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