Hindi, asked by baviskarvikas99, 17 days ago

रखाकीत शब्दे के भेद बदलो
रम घर जा रहा
है।​

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Answered by hofferthdaveinguatno
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Answer:

सबसे छोटा भाषाई तत्व, जिसे शब्दार्थ या व्यावहारिक सामग्री के साथ अलग किया जा सकता है

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है।

कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (अगस्त 2015)

एक या एक से अधिक वर्णों के मेल से बनी हुई स्वतंत्र सार्थक इकाई शब्द कहलाती है। भारतीय संस्कृति में शब्द को ब्रह्म कहा गया है। एक से ज़्यादा शब्द मिलकर पद बनते है और पद मिलकर वाक्य बनते हैं।

शब्दों का वर्गीकरण

हिंदी भाषा विशाल सागर के समान है, जिसमें अन्य भाषाओं की शब्द रूपी नदियाँ आकर मिलती रहती हैं तथा इसे और भी समृद्ध बनाती रहती हैं। भाषा कुछ शब्द स्वयं बनाती है, तो कुछ शब्द अन्य भाषाओं से ग्रहण करती है। शब्दों का वर्गीकरण पाँच आधारों पर किया जाता है:

व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर

स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर

अर्थ के आधार पर

व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर

प्रयोग के आधार पर

व्युत्पत्ति/रचना के आधार पर शब्द-भेद

शब्द कई प्रकार से बनते हैं। कुछ शब्द एक से अधिक शब्दों को जोड़कर बनाए जाते हैं। सभी शब्दों का अपना अर्थ होता है। एक शब्द जब दूसरे शब्द के साथ जुड़ता है, तब वह भिन्न अर्थ देता है। रचना के आधार पर शब्दों के तीन भेद होते हैं:

रूढ़/मूल शब्द

वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ न निकलता हो तथा जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते हैं, रूढ़ शब्द कहलाते हैं। जैसे: कल, कपड़ा, आदमी, घर, घास, पुस्तक, घोड़ा आदि।

यौगिक शब्द

दो अथवा दो से अधिक शब्दों के योग (मेल) से बनने वाले सार्थक शब्द, यौगिक शब्द कहलाते हैं। जैसे:

देश + भक्ति = देशभक्ति

विद्या + आलय = विद्यालय

योगरूढ़ शब्द

वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे: हिमालय, पीतांबर, नीलकंठ, पंकज, जलद चतुर्भुज आदि।

स्रोत/उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद

स्रोत के आधार पर शब्दों के चार भेद हैं:

तत्सम

तत् (उसके) + सम (समान) अर्थात उसके समान। जो शब्द संस्कृत भाषा (मूल भाषा) से ज्यों के त्यों हिंदी में आ गए हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं। इनका प्रयोग हिंदी में भी उसी रूप में किया जाता है, जिस रूप में संस्कृत में किया जाता है, जैसे: अग्नि, क्षेत्र, रात्रि, सूर्य, मातृ, पितृ, आदि।

तद्भव

जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे: आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य), माता (मातृ), पिता (पितृ) आदि।

देशज

जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना पगड़ी, मनई, मेहरारू आदि।

विदेशज

विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे: स्कूल, अनार, आम, कैंची, अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि। ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।

अंग्रेजी- कॉलेज, पेंसिल, रेडियो, टेलीविजन, डॉक्टर, लेटर बॉक्स, पैन, टिकट, मशीन, सिगरेट, साइक्ल, बोतल , फोटो, डॉक्टर स्कूल आदि।

फारसी- अनार, चश्मा, जमींदार, दुकान, दरबार, नमक, नमूना, बीमार, बर्फ, रूमाल, आदमी, चुगलखोर, गंदगी, चापलूसी आदि।

अरबी- औलाद, अमीर, कत्ल, कलम, कानून, खत, फकीर,रिश्वत,औरत,कैदी,मालिक, गरीब आदि।

तुर्की- कैंची, चाकू, तोप, बारूद, लाश, दारोगा, बहादुर आदि।

पुर्तगाली- अचार, आलपीन, कारतूस, गमला, चाबी, तिजोरी, तौलिया, फीता, साबुन, तंबाकू, कॉफी, कमीज आदि।

फ्रांसीसी- पुलिस, कार्टून, इंजीनियर, कर्फ्यू, बिगुल आदि।

चीनी- तूफान, लीची, चाय, पटाखा आदि।

यूनानी- टेलीफोन, टेलीग्राफ, ऐटम, डेल्टा आदि।

जापानी- रिक्शा आदि।

डच-बम आदि।

प्रयोग के आधार पर शब्द-भेद

प्रयोग के आधार पर शब्द के निम्नलिखित दो भेद होते है-1.विकारी शब्द 2.अविकारी शब्द

1-विकारी शब्द के चार भेद होते है

संज्ञा

सर्वनाम

विशेषण

क्रिया

अविकारी शब्द के चार भेद होते है

Explanation:

amigo

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