रखते हुए साक्षात्कार के अभाव प्रवृत्ति प्रवृत्तिजनय नहीं है
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दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा किसी विशेष उद्देश्य से आमने-सामने की गयी बातचीत को साक्षात्कार कहा जाता है। साक्षात्कार एक प्रकार की मौखिक प्रश्नावली है जिसमें हम किसी भी व्यक्ति के विचारों और प्रतिक्रियाओं को लिखने के बजाय उसके सम्मुख रहकर बातचीत करके प्राप्त करते हैं।
साक्षात्कार एक आत्मनिष्ठ विधि है इसके माध्यम से प्राप्त सूचनाओं की सार्थकता एवं वैधता साक्षात्कारकर्ता पर निर्भर करती है। सूचना संकलन की इस विधि के प्रयोग में साक्षात्कारकर्ता के लिए दक्षता अत्यन्त महत्वपूर्ण है क्योंकि साक्षात्कार से प्राप्त आंकड़े सरलता से पक्षपातपूर्ण बन सकते हैं। साक्षात्कार में साक्षात्कार कर्ता वार्तालाप के साथ-साथ शाब्दिक के अर्थपूर्ण तथा अशाब्दिक प्रतिक्रियाओं (इशारा करना तथा मुखमुद्रा) का भी प्रयोग करता है।
गुड् एव हैट के अनुसार - ‘‘ किसी उद्देश्य से किया गया गम्भीर वातार्लाप ही साक्षात्कार है।’’
2. डेजिन ने साक्षात्कार को इस प्रकार परिभाषित किया है - ‘‘साक्षात्कार आमने-सामने किया गया एक संवादोचित आदान- प्रदान है जहां एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ सूचनाएं प्राप्त करता है।’’
उपरोक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि सभी प्रकार के साक्षात्कारों में तीन विशेषताएं पायी जाती हैं।
दो व्यक्तियों के मध्य सम्बन्ध।
एक दूसरे से सम्पर्क स्थापित करने का साधन।
साक्षात्कार से सम्बन्धित दोनों व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को साक्षात्कार के उद्देश्य के विषय में संज्ञान।
साक्षात्कार के तीन प्रमुख अवयव होते हैं -
साक्षात्कारकर्त्ता
साक्षात्कार हेतु प्रश्न
साक्षात्कार देने वाला दो व्यक्तियों के बीच यदि बातचीत निरुद्देश्य है तो उसे साक्षात्कार नहीं कहा जा सकता