Raksha Bandhan on essay Hindi
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भारत त्योहारों का देश है और इसके प्रमुख त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन। इस दिन सभी बहनेंं अपने भाइयों को राखी बांधती हैं, चाहे उनका भाई उनसे उम्र में छोटा हो या बड़ा। इस दिन सभी उम्र के भाई अपनी बहनों से राखी बंधवाने के बाद उन्हें वचन देते हैं कि वे हर परिस्थिति में उनकी रक्षा करेंगे।
हर साल रक्षाबंधन के त्योहार का सभी बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन भाई जहां कहीं भी हो, वे अपनी बहन से मिलने और उनसे राखी बंधवाने उनके पास पहुंच ही जाते हैं। मौका और भी खास हो जाता यदि बहन की शादी हो चुकी हो और वह दूसरे किसी शहर में रहती हो। ऐसे में तो इस त्योहार का इंतज़ार महीनों पहले से ही शुरू हो जाता है। कई दिनों पहले से बहन को ससुराल से मायके लाने की तारीख निश्चित कर ली जाती है।
बच्चे भी राखी के त्योहार के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं। यह दिन भाई-बहन के बीच प्रेम के अटूट रिश्ते को दर्शाता है। इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, उन्हें मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा करती हैं और अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। राखी बांधने से पहले उनकी आरती उतारने के लिए सुंदर सी थाली सजाती हैं। भाई भी राखी बंधवाने के बाद अपनी बहनों को वचन देने के साथ ही कोई तोहफा व लिफाफा भी देते हैं। इसी तरह हंसी-ठिठोली के बीच परिवार के सभी सदस्य साथ बैठकर राखी के त्योहार को मनाते हैं।
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परिचय
वर्तमान समय में आपसी रंजिश दूर करने हेतु अनेक राजनेताओं द्वारा एक दूसरे को राखी बांधी जा रही है। साथ ही लोग पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़-पौधों को भी राखी के अवसर पर राखी बांधते हैं। प्राचीन समय में ब्राह्मणों व गुरुओं द्वारा अपने शिष्य और यजमान को राखी बांधी जाती थी। पर अब राखी का स्वरूप पहले की अपेक्षा परिवर्तित हो गया है।
रक्षा बंधन मनाने की परंपरागत विधि
इस पर्व पर बहनें सुबह स्नान करके पूजा की थाल सजाती हैं, पूजा की थाल में कुमकुम, राखी, रोली, अक्षत, दीपक तथा मिठाई रखी जाती है। तत्पश्चात घर के पूर्व दिशा में भाई को बैठा कर उसकी आरती उतारी जाती है, सिर पर अक्षत डाला जाता है, माथे पर कुमकुम का तिलक किया जाता है फिर कलाई पर राखी बांधी जाती है। अंत में मीठा खिलाया जाता है। भाई के छोटे होने पर बहनें भाई को उपहार देती हैं अपितु भाई बहनों को उपहार देते हैं।
आधुनिकरण में रक्षा बंधन के विधि का बदलता स्वरूप
पुराने समय में घर की छोटी बेटी द्वारा पिता को राखी बांधी जाती थी इसके साथ ही गुरुओं द्वारा अपने यजमान को भी रक्षा सूत्र बांधा जाता था पर अब बहनें ही भाई के कलाई पर यह बांधती हैं। इसके साथ ही समय की व्यस्तता के कारण राखी के पर्व की पूजा पद्धति में भी बदलाव आया है। अब लोग पहले के अपेक्षा इस पर्व में कम सक्रिय नज़र आते हैं। राखी के अवसर पर अब भाई के दूर रहने पर लोगों द्वारा कुरियर के माध्यम से राखी भेज दिया जाता है। इसके अतिरिक्त मोबाइल पर ही राखी की शुभकामनाएं दे दी जाती हैं।
प्यार के धागे का महंगे मोतियों में बदल जाना
रक्षा बंधन में सर्वाधिक महत्वपूर्ण रेशम का धागा है, जिसे महिलाएं भावपूर्ण होकर भाई के कलाई पर बांधती हैं पर आज बाजार में अनेक प्रकार की राखियां उपलब्ध हैं, जिसमें कुछ तो सोने-चांदी की भी हैं। रेशम के सामान्य धागे से बना यह प्यार का बंधन धीरे-धीरे दिखावें में तबदील हो रहा है।
रक्षा बंधन के महत्व को बचाए रखना आवश्यक है
स्वयं को नये जमाने का दिखाने के लिए, हम शुरु से हमारी सभ्यता को पुराना फैशन कह कर भूलाते आए हैं। हमने हमारी पूजा पद्धति बदली है। अतः अपने संस्कृति के रक्षा हेतु हमें हमारे पर्वों के रीति रिवाज में परिर्वतन नहीं करना चाहिए और राखी के पर्व की महत्व को समझते हुए हमें इस पर्व को बनाए गए पूजा पद्धति के अनुसार करना चाहिए।
निष्कर्ष
हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए पर्वों, त्योहारों व उपवास के विधि-विधान हमारी सभ्यता, संस्कृति के रक्षक है। इन सब से हमारी पहचान है अतः हमें इसे बदलने का प्रयास नहीं करना चाहिए।