ram ki kripa sa kon si ratri bit gayi thi
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◦•●◉✿ये भजनों की पुस्तक मेरी माताजी द्वारा लिखी गई हैं जिसका नाम “भजनावली संग्रह 108” रखा गया है. इसके सभी भजनों को मैं अपने ब्लॉग पर भी पोस्ट करना चाहती हूँ, जो सभी पाठकों को समर्पित रहेगें.
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जीवन है एक जुआ, जीत गए तो भव को उतर गए नहीं तो अपने जीवन का प्राणी कर ले पल्ला पूरा। हम अपने अतीत को कभी भी झांककर नहीं देखते। जाने – अनजाने पता नहीं कितने अपराध हमसे होते रहते हैं पर हम है कि अपनी धुन में खोये ही रहते हैं ओर पता ही नहीं चल पाता। इसी भागती दौड़ती जिंदगी में से कुछ समय यदि हम “हरि” नाम में लगा लें तो कुछ अंश सुख का हमारी झोली में आ गिरे लेकिन हम है कि इस बिजी और मशीनी जिंदगी से समय निकालना ही नहीं चाहते हैं क्योंकि हम इतने ज्यादा भोगी हो चुके हैं कि भगवान भजन में समय बिताना रास ही नहीं आता है। यदि हम दृढ़ संकल्प कर लें तब सरलता से समय भी निकाला जा सकता है। वर्तमान समय में यदि मोह माया से थोड़ा सा अलग कर के स्वयं का आकंलन किया जाए तब शायद चक्षु खुलने में देर ना लगे।
यह भागदौड़ वाली जिंदगी जब एक दिन अचानक रुक जाती है तब हमें अहसास होता है कि प्रभु को तो पाया ही नहीं! इसलिए देर ना करते हुए यदि समय पर प्रभु भक्ति का थोड़ा भी अहसास होता है तब अपना कुछ समय इसमें लगाना चाहिए। किसी भी मनुष्य के साथ ना माया जाएगी ना ही मोह ही काम आएगा। यदि कुछ काम आएगा तो वह प्रभु की भक्ति ही होगी, बाकी सब तो यही धरा रह जाएगा।
आज और अभी से हमें यह प्रण करना चाहिए कि पाप कर्म का त्याग कर, मोह माया का जाल भूलकर सत्संग में मन लगाएं। प्रभु के साथ एक बार जो प्रीत लग गई तब किसी भी दूसरी चीज में कभी मन नहीं रमेगा।
संतोष देवी
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गणेश वंदना
हे! गणपति गणनाथ तुम मेरे अंगना कब आओगे………2
1) तुम बिन कोई काज ना होवे, तुम बिन कोई राज ना होवे
मेरी विनती आन सुनो, तुम मेरे अंगना……….
2) लड्डुओं का तेरा भोग लगाउँ, माथे आके तिलक लगाउँ
हे शंकर के लाला….तुम मेरे अंगना कब आओगे……..
3) तुम विघ्नों को हरने वाले, तुम दुखो को तारने वाले
मेरी बिगड़ी आन हरो, तुम मेरे अंगना कब आओगे………
4) मूषक की तुम करो सवारी, रिद्धि सिद्धि के देने वाले
हे सुख संपत्ति के दाता, तुम मेरे अंगना कब आओगे…….
भजन – 1 श्याम तेरा शुक्रिया
तर्ज – बहुत प्यार करते है तुमको सनम
श्याम तेरा शुक्रिया है………..2
मेरे अंगना में आए – 2 मेरे श्यामा
1) दुनिया ने मुझको कभी नहीं जाना, आपने मुझको है पहचाना
मेरे श्याम मुझ पर – 2 अहसां तुम्हारा,
मेरे अंगना में…………
2) तेरे दर पर आके श्याम शीश मैं नवाउँ, शीश को नवाउँ श्याम झोली मैं फैलाउँ
दो फूल श्रद्धा के – 2 डालो मेरे श्याम
मेरे अंगना में…………
3) तन-मन की मिट्टी से आसन बनाउँ, हृदय की कलियों से उसको सजाउँ
अपनी चरण धूली से – 2 मेरी कुटिया रंग दो
मेरे अंगना में……..
4) आपने आके प्रभु मुझको संभाला, मंझधार में थी नैया दे दिया सहारा
मेरे श्याम तुम पर – 2 बली-बली जाउँ
मेरे अंगना में……..
भजन – 2 राधे रानी आई रे
राधे रानी आई रे……महारानी
आगे-आगे ललिता पीछे विशाखा है
बीच में राधे आई रे…….महारानी
1) माथ राधे के टीका सोहे, बिन्दिया पे मन मेरा है
बिन्दिया पे बहार आई रे……..महारानी
आगे-आगे ललिता……….
2) कान राधे के झुमका सोहे, बाली पे मन मेरा है
बाली पे बहार आई रे……महारानी
आगे-आगे ललिता……….
3) गल राधे के हरवा सोहे, माला पे मन मेरा है
माला पे बहार आई रे……….महारानी
आगे-आगे ललिता……….
4) हाथ राधे के चूड़ा सोहे, मेहंदी पे मन मेरा है
मेहंदी पे बहार आई रे………महारानी
आगे-आगे ललिता………..
5) अंग राधे के लहंगा सोहे, चुनरी पे मन मेरा है
चुनरी पे बहार आई रे……..महारानी
आगे-आगे ललिता……….
6) पैर राधे के पायल सोहे, बिछवों पर मन मेरा है
बिछवो पर बहार आई रे…………महारानी
आगे-आगे ललिता……..✿◉●•◦
please mark me as brainalist
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sorry yrr i don't use Instagram