रमेसर की विधवा के साथ क्या हुआ था? हरिहर काका ने उससे क्या सीख ली?
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रमेसर की विधवा के साथ रमेसर की विधवा को बहला-फुसलाकर उसके हिस्से की ज़मीन रमेसर के भाइयों ने लिखवा ली। शुरू में तो उसका खूब आदर-मान किया, लेकिन बुढ़ापे में उसे दोनों जून खाना देते उन्हें अखरने लगा। अंत उसकी वह दुर्गति हुई कि गाँव के लोग देखकर सिहर जाते। हरिहर काका को लगता है कि अगर रमेसर की विधवा ने अपनी जमीन नहीं लिखी होती तो अंत समय तक लोग उसके पाँव पखारते होते।
हरिहर काका ने अपने अनुभव से यह सीखा था कि जिस व्यक्ति के हाथ से संपत्ति छिन जाती है उसकी क्या दुर्दशा होती है। हरिहर काका रमेसर की विधवा की तरह शेष जिंदगी वे घुट-घुट कर नहीं जीना चाहते थे | इसलिए वह अपनी जमीन पहले ही किसी जरूरत मंद के नाम करना चाहते थे |
Answer:
प्रश्र रमेसर की विधवा से हरिहरकाका ने क्या सीख ली और इससे उनके व्यवहार के विषय में क्या
पता चलता है।
Explanation:
प्रश्र रमेसर की विधवा से हरिहरकाका ने क्या सीख ली और इससे उनके व्यवहार के विषय में क्या
पता चलता है।