रमजान त्योहार के लाभ बताइए
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रमजान के पवित्र महीने में रोजा रखने से सेहत को भी कई फायदे होते हैं. यही कारण है कि रमजान के अलावा भी कई मुस्लिम और गैर मुस्लिम लोग मानसिक और शारीरिक रूप से सेहतमंद रहने के लिए रोजा या व्रत करते हैं.
इस्लाम में रमजान के महीने को सबसे पाक महीना माना जाता है. रमजान के महीने में कुरान नाजिल हुआ था. माना जाता है कि रमजान के महीने में जन्नत के दरवाजे खुल जाते हैं. अल्लाह रोजेदार और इबादत करने वाले की दुआ कूबुल करता है और इस पवित्र महीने में गुनाहों से बख्शीश मिलती है.
मुसलमानों के लिए रमजान महीने की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इन्हीं दिनों पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब के जरिए अल्लाह की अहम किताब ‘कुरान शरीफ’ (नाजिल) जमीन पर उतरी थी. इसलिए मुसलमान ज्यादातर वक्त इबादत-तिलावत (नमाज पढ़ना और कुरान पढ़ने) में गुजारते हैं. मुसलमान रमजान के महीने में गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान देते हैं.
रोजा रखने के लिए सवेरे उठकर खाया जाता है इसे सेहरी कहते हैं. सेहरी के बाद से सूरज ढलने तक भूखे-प्यासे रहते हैं. सूरज ढलने से पहले कुछ खाने या पीने से रोजा टूट जाता है. रोजे के दौरान खाने-पीने के साथ गुस्सा करने और किसी का बुरा चाहने की भी मनाही है.
शाम को सूरज ढलने पर आमतौर पर खजूर खाकर या पानी पीकर रोजा खोलते हैं. रोजा खोलने को इफ्तार कहते हैं. इफ्तार के वक्त सच्चे मन से जो दुआ मांगी जाती है वो कूबुल होती है.
बच्चों, बुजुर्गों, मुसाफिरों, गर्भवती महिलाओं और बीमारी की हालत में रोजे से छूट है. जो लोग रोजा नहीं रखते उन्हें रोजेदार के सामने खाने से मनाही है.
रमजान और ईद ईद के चांद के साथ रमजान का अंत होता है. रमजान की खुशी में ईद मनाई जाती है. ईद का अर्थ ही 'खुशी का दिन' है. मुसलमानों के लिए ईद-उल-फित्र त्योहार अलग ही खुशी लेकर आता है. ईद के चांद के दर्शन के साथ हर तरफ रौनक हो जाती है.