रमन, स्पेक्ट्रा के मुख्य अनुप्रयोग का वर्णन कीजिये
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रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) का उपयोग आम तौर पर रसायनशास्त्र में किया जाता है, क्योंकि कम्पन की जानकारी अणुओं की रासायनिक संरचना तथा समरूपता के लिए विशेष मायने रखती है। इसलिए यह एक फिंगरप्रिंट (आकृति) प्रदान करता है जिसके द्वारा अणु को पहचाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, SiO, Si2O2 और Si3O3 की कम्पन आवृत्तियों की पहचान और निर्दिष्टिकरण सामान्य कोर्डिनेट विश्लेषण के आधार पर इन्फ्रारेड और रमन स्पेक्ट्रा का प्रयोग करके किया गया था।[3] संगठित अणुओं का फिंगरप्रिंट क्षेत्र 500-2000 सेमी−1 (तरंग संख्या में) के बीच होता है। एक और तरीका है जिसमें इस तकनीक का प्रयोग रासायनिक संबंधों में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, जैसे, जब एक एंजाइम में एक अधःस्तर (सब्स्ट्रेट) जोड़ा जाता है।
रमन गैस विश्लेषक के कई व्यावहारिक अनुप्रयोग हैं। उदाहरण के लिए, इनका प्रयोग चिकित्सा में, सर्जरी के दौरान चेतनानाशक और श्वसन गैस के मिश्रण की समयोचित निगरानी के लिए किया जाता है।
ठोस अवस्था भौतिकी में, स्वाभाविक रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) का प्रयोग, अन्य वस्तुओं में, किसी नमूने के पदार्थों की विशेषता बताने, तापमान मापने और उसके क्रिस्टेलोग्राफिक अभिविन्यास का पता लगाने के लिए किया जाता है। पृथक अणुओं की तरह ही एक प्रदत्त ठोस पदार्थ में विशेष फोनोन मोड होते हैं जो खोजकर्ता को इसे पहचानने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा, रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) का उपयोग ठोस वस्तुओं, जैसे कि, प्लास्मोन्स (plasmons), मेग्नोन्स (magnons) और सुपर कन्डक्टिंग गैप हलचल (superconducting gap excitations) जैसी अन्य कम आवृत्तियों की हलचल के निरीक्षण के लिए किया जा सकता है। स्वाभाविक रमन संकेत स्टोक्स (नीचे की ओर) तीव्रता और एंटी स्टोक्स (ऊपर की ओर) तीव्रता के अनुपात में एक दिए गये फोनोन प्रकार की संख्या के बारे में जानकारी देता है।
एक एनिसोट्रोपिक (anisotropic) क्रिस्टल पर रमन स्कैटरिंग से क्रिस्टल के अभिविन्यास की जानकारी मिलती है। क्रिस्टल के सन्दर्भ में रमन स्कैटर्ड प्रकाश के चुम्बकत्व तथा लेज़र प्रकाश के चुम्बकत्व का प्रयोग क्रिस्टल का अभिविन्यास जानने के लिए किया जा सकता है, यदि क्रिस्टल की संरचना (विशेष रूप से, इसका बिंदु समूह (point group)) ज्ञात हो.
रमन एक्टिव फाइबर, जैसे कि - अरामिड और कार्बन, में कम्पन प्रकार होते हैं जो जोर लगाने पर रमन आवृति में बदलाव दर्शाते हैं। पोलीप्रोपाइलीन (Polypropylene) फाइबर भी समान बदलाव प्रदर्शित करते हैं। कार्बन नैनोट्यूब के व्यास का मूल्यांकन करने के लिए रेडियल ब्रीदिंग मोड (radial breathing mode) एक आम तौर पर प्रचलित तकनीक है। नैनोतकनीकी में, नैनोवायर के विश्लेषण के लिए रमन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग संरचना की बनावट को बेहतर ढंग से समझने के लिए किया जा सकता है।
स्पैटियली ऑफसेट रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी (एसओआरएस (SORS)), जो परंपरागत रमन की अपेक्षा सतह की परतों के प्रति कम संवेदनशील होता है, का उपयोग आंतरिक पैकेजिंग को खोले बगैर नकली दवाओं का पता लगाने के लिए तथा जैविक उत्तकों की गैर आक्रामक निगरानी के लिए किया जा सकता है।[4] रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) का उपयोग बुक ऑफ़ केल्स (Book of Kells) जैसे ऐतिहासिक दस्तावेजों की रासायनिक संरचना का पता लगाने के लिए और दस्तावेजों को प्रस्तुत करते समय सामाजिक और आर्थिक स्थितियों के बारे में जानकारी में योगदान करने के लिए किया जा सकता है।[5] यह विशेष रूप से उपयोगी है क्योंकि रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी इस प्रकार की सामग्री के बचाव या संरक्षण उपचार के लिए एक गैर आक्रामक तरीका प्रदान करता है।
हवाईअड्डे की सुरक्षा के लिए विस्फोटकों का पता लगाने वाले एक साधन के रूप में रमन वर्णक्रमीयता (स्पेक्ट्रोस्कोपी) की जांच की जा रही है।