Hindi, asked by Anonymous, 5 months ago

Ramayan ki 5 chopai ......
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Answers

Answered by ra9636317
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Answer:

बिनु सत्संग विवेक न होई।

राम कृपा बिनु सुलभ न सोई।।

सठ सुधरहिं सत्संगति पाई।

पारस परस कुघात सुहाई।।

अर्थ : सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम जी की कृपा के बिना वह सत्संग नहीं मिलता, सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। दुष्ट भी सत्संगति पाकर सुधर जाते हैं जैसे पारस के स्पर्श से लोहा सुंदर सोना बन जाता है।

करमनास जल सुरसरि परई,

तेहि काे कहहु शीश नहिं धरई।

उलटा नाम जपत जग जाना,

बालमीकि भये ब्रह्मसमाना।।

अर्थ: कर्मनास का जल (अशुद्ध से अशुद्ध जल भी) यदि गंगा में पड़ जाए तो कहो उसे कौन नहीं सिर पर रखता है? अर्थात अशुद्ध जल भी गंगा के समान पवित्र हो जाता है। सारे संसार को विदित है की उल्टा नाम का जाप करके वाल्मीकि जी ब्रह्म के समान हो गए।

Ramayan Ki Chaupai

अनुचित उचित काज कछु होई,

समुझि करिय भल कह सब कोई।

सहसा करि पाछे पछिताहीं,

कहहिं बेद बुध ते बुध नाहीं।।

अर्थ: किसी भी कार्य का परिणाम उचित होगा या अनुचित, यह जानकर करना चाहिए, उसी को सभी लोग भला कहते हैं। जो बिना विचारे काम करते हैं वे बाद में पछताते हैं, उनको वेद और विद्वान कोई भी बुद्धिमान नहीं कहता।

Ramcharitmanas Chaupai

ह्रदय बिचारति बारहिं बारा,

कवन भाँति लंकापति मारा।

अति सुकुमार जुगल मम बारे,

निशाचर सुभट महाबल भारे।।

अर्थ: जब श्रीरामचंद्रजी रावण का वध करके वापस अयोध्या लौटते हैं, तब माता कौशल्या अपने हृदय में बार-बार यह विचार कर रही हैं कि इन्होंने रावण को कैसे मारा होगा। मेरे दोनों बालक तो अत्यंत सुकुमार हैं और राक्षस योद्धा तो महाबलवान थे। इस सबके अतिरिक्त लक्ष्मण और सीता सहित प्रभु राम जी को देखकर मन ही मन परमानंद में मग्न हो रही हैं।

श्याम गात राजीव बिलोचन,

दीन बंधु प्रणतारति मोचन।

अनुज जानकी सहित निरंतर,

बसहु राम नृप मम उर अन्दर।।

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि हे श्रीरामचंद्रजी ! आप श्यामल शरीर, कमल के समान नेत्र वाले, दीनबंधु और संकट को हरने वाले हैं। हे राजा रामचंद्रजी आप निरंतर लक्ष्मण और सीता सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

Chaupai Ramayan ki

अगुण सगुण गुण मंदिर सुंदर,

भ्रम तम प्रबल प्रताप दिवाकर।

काम क्रोध मद गज पंचानन,

बसहु निरंतर जन मन कानन।।

अर्थ: तुलसीदास जी कहते हैं कि हे गुणों के मंदिर ! आप सगुण और निर्गुण दोनों है। आपका प्रबल प्रताप सूर्य के प्रकाश के समान काम, क्रोध, मद और अज्ञानरूपी अंधकार का नाश करने वाला है। आप सर्वदा ही अपने भक्तजनों के मनरूपी वन में निवास करने वाले हैं।

Answered by Anonymous
3

Answer:

hyyy

Explanation:

kaisi ho meri bahana

I study in jhps

I'm from bihar..

study in 7th standard..

name divya

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