Ramayan ko apne shabdo me likhe
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वैसे तो रामायण कथा बहुत लम्बी है परन्तु आज हम आपके सामने इस कहानी का एक संक्षिप्त रूप रेखा प्रस्तुत कर रहे हैं। रामायण की कहानी मुख्य रूप से बालकांड, अयोध्या कांड, अरण्यकांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंका कांड, और उत्तरकांड में विभाजित है।
प्राचीन काल की बात है सरयू नदी के किनारे कोशला नामक राज्य था। कोशला राज्य की राजधानी अयोध्या थी जिसके राजा का नाम दशरथ था। राजा दशरथ के तीन पत्नियाँ थी जिनके नाम थे – कौशल्या, कैकई और सुमित्रा। परन्तु बहुत समय से उनकी कोई भी संतान नहीं थी जिसके कारण उन्हें उत्तराधिकारी की कमी हमेशा सताती थी।जब राम ने यह सुना तो तू उन्होंने बताया की वह उनके पिता हैं। यह सुन कर लव-कुश भी बहुत कुश हुए और राम से गले मिल गए। उसके बाद वे माता सीता से आश्रम जा कर मिले। उसके बाद श्री राम, माता सिट और लव-कुश को लेकर अयोध्या लौट आये।
आशा करते हैं आपको रामायण की यह कथा संक्षिप्त रूप में आपको अच्छा लगा होगा।
राजा दशरथ की तीन रानियाँ थी जिनका नाम कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी था. राजा दशरथ के तीनों रानियों से चार अत्यधिक रूपवान एवं गुणवान पुत्रों का जन्म हुआ जिन्हें राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न नामों से जाना गया. राम, माता कौशल्या के पुत्र थे, भरत, माता कैकेयी के एवं लक्ष्मण व शत्रुघ्न, माता सुमित्रा के पुत्र थे. राम का विवाह स्वयंवर में सीता के साथ सुनिश्चित हुआ. राम भगवान ने समस्त वीर योद्धाओं एवं राजाओं के सामने शिव धनुष को तोड़कर माता सीता से विवाह किया.समस्त रामायण को 7 कांडो में विभक्त किया गया है. इन 7 कांडो में भगवान राम के जीवन की सम्पूर्ण शौर्य गाथाओं का वर्णन किया गया है.
रामायण के 7 कांड
1. बाल कांड
बाल कांड
राम भगवान का जन्म चैत्र मास की नवमी के दिन अयोध्या में राजा दशरथ और माता कौशल्या के यहाँ हुआ था. साथ ही में माता कैकेयी ने भरत और माता सुमित्रा ने लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया. कुछ वर्ष पश्चात गुरु वशिष्ठ के आश्रम में उन्होंने शिक्षा दीक्षा प्राप्त की. बाद में गुरु विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा के लिए श्रीराम ने ताड़का, सुबाहु आदि राक्षसों का वध किया और देवी अहिल्या को शाप मुक्त किया. जनकपुर में श्रीराम ने माता सीता के स्वयंवर में भाग लिया और शिव धनुष को तोड़कर सीता माता से विवाह किया.
2. अयोध्या कांड
अयोध्या कांड
राम-सीता विवाह के उपरांत राजा दशरथ ने राम के राज्याभिषेक की घोषणा की. परन्तु तभी मंथरा द्वारा भड़का दिए जाने के कारण रानी कैकेयी ने राजा दशरथ से उनके द्वारा दिए गए उन दो वचनों को पूरा करने को कहा जिन्हें एक बार रानी कैकेयी द्वारा राजा दशरथ के जीवन की रक्षा करने के प्रतिफल के रूप में राजा दशरथ ने कैकेयी को दिया था. मंथरा के कहे अनुसार कैकई ने दो वचन मांगे, एक राम को 14 वर्ष का वनवास और दूसरा भरत का राज्याभिषेक.
राजा दशरथ द्वारा दिए गए वचन की पालना करते हुए श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण सहित वनवास के लिए निकल पड़े.
वहीं दूसरी ओर राजा जनक की राम के वियोग में और श्रवण के माता पिता द्वारा दिए गए शाप के प्रभाव से मृत्यु हो गई. भरत राम को मनाने वन की ओर चले एवं राम भरत मिलाप हुआ. भरत ने राम से अयोध्या लौट चलने को कहा परन्तु राम ने मना कर दिया एवं भरत को अपनी चरण पादुकाएँ समर्पित की. भरत पादुकाएँ लेकर अयोध्या लौट आए व तपस्वी के भेष में अयोध्या से बाहर कुटी बनाकर रहने लगे.
भारत राम की पादुका ले आये और राज सिंघासन पर विराजमान कर दी.
3. अरण्य कांड
अरण्य कांड
वन में भगवान राम, लक्ष्मण एवं सीता ऋषि अत्रि व उनकी पत्नी अनुसुइया से मिले. इसके पश्चात रावण द्वारा सीता माता का हरण कर लिया गया. श्रीराम ने मुनि अगस्त्य, मुनि सुतिष्ण पर कृपा की एवं जटायु का उद्धार किया. सीता के वियोग में राम वन-वन भटकने लगे इसी बीच राम ने माता शबरी के झूठे बेर खाये और उनका उद्धार किया.
4. किष्किन्धा कांड
किष्किन्धा कांड
सीता को खोजते समय श्रीराम की मुलाकात सुग्रीव, हनुमान एवं समस्त वानर सेना से हुई. भगवन ने सुग्रीव की सहायता के लिए बालि का उद्धार किया और तब सुग्रीव और उनकी सेना की मदद से सीता माता की खोज में निकल पड़े.
5. सुन्दर कांड
सुन्दर कांड
सीता माता की खोज में हनुमान लंका गए. वहाँ सीता माता से मिले. इसके पश्चात् हनुमान ने अपनी पूंछ से लंका में आग लगा दी.
रावण के भ्राता विभीषण राम की शरण में आ गए. राम ने समुद्र का घमंड शांत किया और तब हनुमान व अन्य वानरों ने समुद्र में राम नाम के पत्थर तैराकर समुद्र पर सेतु का निर्माण किया.
6. लंका कांड
लंका कांड
श्रीराम व उनकी सेना सेतुमार्ग से लंका पहुंचे और राम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के समक्ष संधि के लिए भेजा. परन्तु रावण ने अपने घमंड के आगे राम की आज्ञा नहीं मानी. तब युद्ध की घोषणा की गई. भयावह युद्ध प्रारम्भ हो गया. रावण द्वारा अपने समस्त वीर एवं बलशाली योद्धाओं को रणभूमि में भेजा गया. परन्तु सभी राक्षसों को राम व उनकी सेना ने परास्त कर दिया. लक्ष्मण व मेघनाथ के युद्ध में लक्ष्मण को बाण लगा. उनके उपचार के लिए हनुमान संजीवनी बूटी ले आए. तब लक्ष्मण ने मेघनाथ का एवं राम ने कुम्भकरण जैसे राक्षसों का वध किया.
तत्पश्चात श्रीराम एवं रावण के मध्य भीषण युद्ध हुआ. युद्ध में राम भगवान ने रावण को परास्त कर विजय प्राप्त की. तब विभीषण का राज्याभिषेक हुआ. सीता माता को लंका से लाया गया एवं अपनी पवित्रता साबित करने के लिए उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ी. अंत में पुष्पक विमान द्वारा श्रीराम, माँ सीता व लक्ष्मण, वानरों सहित अयोध्या पहुंच गए.
रामानंद सागर का मुख्या टीवी प्रोग्राम इसी काण्ड के साथ समाप्त हो गया था. लेकिन रामायण में एक काण्ड और भी है, उत्तर काण्ड, जिसे तत्पश्चात एक और टीवी प्रोग्राम ‘उत्तर रामायण’ के नाम से दर्शाया गया था.
7. उत्तर कांड
उत्तर कांड
भगवान् राम के अयोध्या पहुंचने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों द्वारा दीपोत्सव का आयोजन किया गया. इसके पश्चात् बड़े हर्ष के साथ सभी ने श्रीराम का राज्याभिषेक किया.
इन 7 कांडो में राम के जीवन का सम्पूर्ण चरित्र चित्रण किया गया है. इसके बाद सीता माता को लंकापति रावण द्वारा हर लिए जाने के कारण उनपर समस्त अयोध्यावासियों द्वारा लांछन लगाए गए. तब श्रीराम ने उन्हें वन में भेज दिया. सीता माता ऋषि वाल्मीकि के आश्रम में रहने लगी. वहाँ उनके दो चन्द्रमुख वाले शिशुओं का जन्म हुआ. उनका नाम लव एवं कुश रखा गया. वे अपने पिता राम के समान अत्यधिक पराक्रमी व शौर्यवान थे. उन्होंने अश्वमेघ यज्ञ जीता. राम के दरबार में उपस्थित हुए व अपने मधुर शब्दों में राम-सीता की जीवन गाथा सुनाई. तब ऋषि वाल्मीकि ने राम को बताया कि वे दोनों उन्हीं के पुत्र हैं. तब भगवान राम को अपनी गलती पर पछतावा हुआ. अंत में सीता ने धरती माँ से अनुरोध किया कि वे उन्हें अपनी शरण में ले लें. तब धरती फटी एवं माता सीता उसमें समा गयी