रमज़ान के पूरे तीस रोज़े के बाद आज क्या आयी है?
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रमजान के 30 रोजे हैं फर्ज, साल में 20 रोजे हैं नफिल
5 वर्ष पहले
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पटना. रोजा रखने की अवधि विभिन्न देशों में अलग-अलग है। कहीं चंद घंटों का रोजा है तो कहीं दिन व रात का तो कहीं अहले सुबह से शाम का। उलेमा फरमाते हैं कि शुरू में मुहर्रम का दो रोजा वाजिब किया गया था। पैगंबर मोहम्मद को जब अल्लाह ने अपना नबी बनाया तो अल्लाह ने उस वक्त उनके उम्मत पर 50 दिन का रोजा रखने का हुक्म दिया था। पैगंबर मोहम्मद ने उनसे गुजारिश की कि मेरे उम्मत से 50 दिन का फर्ज रोजा हमारी उम्मत नहीं रखा जाएगा।
अल्लाह ने गुजारिश को कबूल करते हुए रमजान में 30 दिनों का रोजा उनकी उम्मत पर फर्ज किया। शेष 20 रोजा नफिल किया गया, जो ईद के बाद छह रोजे, मुहर्रम, बकरीद, शाबान, रजब आदि महीने में रखे जाते हैं। नफिल रोजों को रखने पर सवाब है। नहीं रखने पर गुनाह भी नहीं है। इमारत-ए-शरिया के नाजिम मौलाना अनिसुर रहमान कासमी कहते हैं कि बालिग मुसलमानों पर रमजान के 30 रोजे फर्ज किए गए हैं।
Explanation:
रमजान के पूरे 30 रोजों के बाद आज ईद आई है