Ramleela pa apna anubhav
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राम लीला रामायण का एक नाटक रूपांतर है जो नवरात्रो मेँ भारत के हर शहर और गांव मेँ दिखाया जाता है । पहले नौ दिन तक पूरी रामायण के कुछ मुख्या अंश दिखाए जाते है जिसमे माता सीता के सयंबर से लेकर श्री राम के बनवास और रावण से युद्ध और विजय दिखाई जाती है और दसवे मेँ दिन दशहरा के रूप मेँ मनाया जाता है ।
मैंने भी राम लीला को बहुत बार देखा है बचपन मेँ अपने दोस्तों संग मस्ती करते और राम लीला देखते। ये सिर्फ रात को ही दिखाई जाती है और ज्यादा जगह इसका समय रात ९ बजे से ११ बजे तक ही होता है हमारे राम लीला मैदान के बाहर मूंगफली और खाने पीने के सामान वाले अपने ठेले लेकर खड़े होते है और इस समय मौसम ठण्ड पकड़नी शुरू कर देता है तो लोग राम लीला का आनंद मूंगफली के साथ लेते है । जो लोग इस नाटक मेँ भाग लेते है वो भी अच्छे कलाकार होते है ।
औरतो और मर्दो की बैठने के लिए अलग अलग भाग बनाया जाता है ताकि किसी तरह की शरारत न हो सके रात होने के बाबजूद सारा माहौल रौनक भरा होता है । कुछ शहरों मेँ तो परदे पर चल चित्र की तरह भी दिखाया जाता है क्यूंकि मैदान बड़ा और भीड़ ज्यादा होने की वजह से हर कोई मंच को दूर से ठीक से नहीं देख सकता। भारत मिलाप और श्री राम के बनवास वाले दृश्यों पर तो लोग रो भी देते है। कलाकार जिन वस्त्रो का प्रयोग करते है वो बिलकुल पुराने समय के भेष भुषा की तरह होते है।
कई जगह माता सीता का किरदार लड़किया निभाती है और कुछ जगह तो मर्द ही औरत के लिबास मेँ माता सीता का किरदार निभाते है। मैंने कई अलग अलग जगह राम लीला देखी है पर मुझसे सब जगह एक सा एहसास हुआ है क्युकी कलाकार सिर्फ किरदार नहीं निभाते बल्कि उसे बखूबी दर्शाते है । राम लीला सिर्फ नौ दिन की होती है इसलिए इसमें हर वाक्य को विस्तृत तरीके से नहीं दिखाया जाता बस कुछ मुख्या अंश ही दिखाए जाते है।
रामलीला उत्तरी भारत में परम्परागत रूप से खेला जाने वाला राम के चरित पर आधारित नाटक है। यह प्रायः विजयादशमी के अवसर पर खेला जाता है।आज से रामलीलाएं शुरू हो रही हैं। तुम भी हर साल देखने जाते ही होगे। पर क्या तुम जानते हो कि रामलीला कब से होनी शुरू हुई, कितनी तरह की होती है और कहां-कहां की प्रसिद्ध है, चलो आज इन बातों को जानते हैं रजनी अरोड़ा से
आज से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। घर-घर में दुर्गा मां का पूजन होता है और साथ ही शुरू होता है नौ दिन चलने वाली रामलीला के मंचन का सिलसिला। रामलीला में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को दर्शाया जाता है। इसमें कई कलाकार रामजन्म से लेकर रावण-वध और भरत-मिलाप जैसी घटनाओं का मंचन करते हैं। दशमी के दिन रावण-वध होता है और रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले जलाए जाते|इस तरह नौ दिन चला रामलीला का यह सिलसिला बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक दशहरा पर्व पर आकर थमता है। लेकिन क्या तुम जानते हो कि सदियों से चली आ रही रामलीला के मंचन की परंपरा कब और कैसे शुरू हुई और आज देश-विदेश में कहां-कहां इसका भव्य आयोजन किया जाता है?
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