ramzan ki aako me khun kyu utar aaya
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रमजान ने सोचा कि यह दुनिया न्याय नगरी नहीं है। यहां शेख सलीमुद्दीन जैसे रिश्वतखोर और 500 1000 के चोर जिला मैजिस्ट्रेट एक गरीब द्वारा मजबूरी में उठाए गए कदम के लिए 6 महीने की सजा सुनाते हैं। पहले वह खुद गलत काम करते हैं , अपने पद का गलत उपयोग करते हैं और रसीला जैसे इंसान को सजा सुनाते हैं। रसीला ने अपनी गलती मान ली थी और कोई बहाना नहीं बनाया था यदि वह चाहता तो बहाने बनाकर बच सकता था लेकिन वह एक और अपराध करने का साहस ना जुटा पाया। इस दुनिया में बाबू जगतसिंह और शेख सलीमुद्दीन जैसे रिश्वतखोर बड़ी बड़ी कोठियों में दोनों हाथों से धन बटोरते हैं किन्तु एक गरीब पर उन्हें बिल्कुल दया नहीं आती। वे उनकी मजबूरी का फायदा उठा कर उन से काम करवाते हैं लेकिन कभी भी उनकी मदद नहीं करते जैसा कि इस कहानी में रसीला के साथ होता है। उसके मालिक यह बात जानते हैं कि रसीला मजबूर इंसान है। वे उसके स्वभाव से भली - भांति परिचित हैं कि वह अपने आत्मसम्मान पर आंच ना आने देगा अतः जब रसीला उनसे वेतन बढ़ाने की प्रार्थना करता है तो वे यह कहकर उस पर ही उसका निर्णय छोड़ देते हैं कि वह नौकरी छोड़ना चाहे तो छोड़े परंतु हुई से अधिक पैसे नहीं देंगे।