Hindi, asked by santoshksg50, 5 months ago

रण बीच चौकड़ी भर भर कर चेतक बन गया निराला था राणा प्रताप के घोड़े से पड़ गया हवा का पाला था गिरता न कभी चेतक तन पर राणा प्रताप का घोड़ा था वह गोदावरी मस्तक पर वह आसमान का घोड़ा था जो तनिक हवा से बाग़ हिली नहीं लेकर सवार उड़ जाता था राणा की पुतली फिरी नहीं तब वो चेतक मुड़ जाता था इस कविता की ये पंक्तियां हैं उसमें से एक इस पंक्ति से पता चलता है कि बहुत ही furtila tha​

Answers

Answered by lorindafrancisco
5

Answer:

I can't understand the language

Answered by anushkaagrahari19
1

Explanation:

गिरता न कभी चेतक तन पर राणा प्रताप का घोड़ा था

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