रण बीच चौकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।
राणा प्रताप के घोड़े से
पड़ गया हवा का पाला था।
गिरतान कभी चेतक तन पर,
राणा प्रताप का कोड़ा था।
वह दौड़ रहा अरि मस्तक पर,
वह आसमान का घोड़ा था।
जो तनिक हवा से बाग हिली,
लेकर सवार उड़ जाता था।
राणा की पुतली फिरी नहीं,
तब तक चेतक मुड़ जाता था।
कौशल दिखलाया चालों में,
उड़ गया भयानक भालों में।
निर्भीक गया वह ढालों में,
सरपट दौड़ा करनालों में।
है यहीं रहा, अब यहाँ नहीं,
वह वहीं रहा, अब वहाँ नहीं।
थी जगह न कोई जहाँ नहीं,
किस अरि मस्तक पर कहाँ नहीं।
बढ़ते नद-सा वह लहर गया,
वह गया, गया फिर ठहर गया।
विकराल वज्रमय बादल-सा,
अरिकी सेना पर घहर गया।
Answers
Answer:
The July Revolution marked the shift from one constitutional monarchy, the Bourbon Restoration, to another, the July Monarchy; the transition of power from the House of Bourbon to its cadet branch, the House of Orléans; and the replacement of the principle of hereditary right by popular sovereignty.
राणा प्रताप की तलवार
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चढ़ चेतक पर तलवार उठा,
रखता था भूतल पानी को।
राणा प्रताप सिर काट काट,
करता था सफल जवानी को॥
कलकल बहती थी रणगंगा,
अरिदल को डूब नहाने को।
तलवार वीर की नाव बनी,
चटपट उस पार लगाने को॥
वैरी दल को ललकार गिरी,
वह नागिन सी फुफकार गिरी।
था शोर मौत से बचो बचो,
तलवार गिरी तलवार गिरी॥
पैदल, हयदल, गजदल में,
छप छप करती वह निकल गई।
क्षण कहाँ गई कुछ पता न फिर,
देखो चम-चम वह निकल गई॥
क्षण इधर गई क्षण उधर गई,
क्षण चढ़ी बाढ़ सी उतर गई।
था प्रलय चमकती जिधर गई,
क्षण शोर हो गया किधर गई॥
लहराती थी सिर काट काट,
बलखाती थी भू पाट पाट।
बिखराती अवयव बाट बाट,
तनती थी लोहू चाट चाट॥
क्षण भीषण हलचल मचा मचा,
राणा कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह,
रण-चंडी जीभ पसार बढ़ी॥