rani lakhsmi bai ke virta ke 3 udharan
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14 मार्च, 1857 से 8 दिनों तक तोप किले से आग उगलती रही अंग्रेज सेनापति रानी लक्ष्मीबाई की किलेबंदी देख दंग रह गया.. रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखें पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांध भयंकर युद्ध करती रही झांसी की मुट्ठी भर सेना ने रानी को सलाह दी कि वह कालपी की ओर चली जाए l
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