ras and alankar easy eg.
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करुण रस की परिभाषा – ‘शोक’ नामक स्थाई भाव, विभाव , अनुभाव और संचारी भाव के संयोग से रस रुप मे परिणत हो तो वहाँ पर करुण रस होता है | अर्थात् किसी प्रिय वस्तु या व्यक्ति के नाश होने से हृदय के अंदर उत्पन्न क्षोभ को करुण रस कहते है |
करुण रस के उदाहरण – 1.
“मणि खोये भुजंग-सी जननी, फन-सा पटक रही थी शीश, अन्धी आज बनाकर मुझको, किया न्याय तुमने जगदीश?”
इस पद मे श्रवण कुमार की मृत्यु पर उनकी माता का करुण दशा का वर्णन किया गया है |
स्पष्टीकरण –
स्थाई भाव – शोक
विभाव (आलम्बन) – श्रवण कुमार
आश्रय – पाठक
उद्दीपन – महाराज दशरथ की उपस्थिति
अनुभाव – सिर का पटकना
संचारी भाव – विषाद, स्मृति, प्रलाप आदि |
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