Hindi, asked by Singhabhay7460833911, 11 months ago

Ras Ke Prakar ki paribhasha udaharan sahit.​

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Answered by Anonymous
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Answer:

काव्य को पढ़ने, सुनने से उत्पन्न होने वाली आनंद की अनुभूति को ही रस कहा जाता हैं। रस, छंद और अंलकार काव्य के अंग है।

रस कितने प्रकार के होते है?

रस 9 मुख्यतः प्रकार के होते हैं।

श्रृंगार रस

हास्य रस

करुण रस

वीर रस

अदभुत रस

भयानक रस

रौद्र रस

वीभत्स रस

शांत रस

वात्सल्य रस

भक्ति रस

1. श्रृंगार रस

जहां नायक और नायिका की अथवा महिला पुरुष के प्रेम पूर्वक श्रेष्ठाओं क्रिया कलापों का श्रेष्ठाक वर्णन होता हैं वहां श्रृंगार रस होता हैं।

श्रृंगार रस का स्थाई भाव – रति होता हैं।

यह दो प्रकार का होता हैं।

संयोग श्रृंगार

वियोग श्रृंगार

उदाहरण :

राम को रूप निहारत जानकी,

कंगन के नग की परछाई।

याते सवै सुध भूल गई,

कर टेक रही पल टारत नाही।।

2. हास्य रस

किसी वस्तु या व्यक्ति की घटनाओं और भावनाओं से संबंधित काव्य को पढ़ने से उत्पन्न रस को हास्य रस कहते हैं।हास्य रस का स्थाई भाव – हसी होता हैं।

उदाहरण :

इस दौड़-धूप में क्या रखा हैं।

आराम करो आराम करो।

आराम जिंदगी की पूजा हैं।।

इससे न तपेदिक होती।

आराम शुधा की एक बूंद।

तन का दुबलापन खो देती।।

3. करुण रस

इसमें किसी प्रकार की दुख से संबंधित अनुभूति से प्ररेति काव्य रचना को पढ़ने से करुण रस उत्पन्न होता हैं।

करुण रस का स्थाई भाव – शोक होता हैं।

उदाहरण :

शोक विकल सब रोवहि रानी।

रूपु सीलु बलू तेजु बखानी।।

करहि विलाप अनेक प्रकारा।

परिहि चूमि तल बारहि बारा।।

4. वीर रस

जब काव्य में उमंग, उत्साह और पराक्रम से संबंधित भाव का उल्लेख होता हैं तब वहां वीर रस की उत्पत्ति होती हैं।

वीर रस का स्थाई भाव – उत्साह होता हैं।

उदाहरण :मैं सत्य कहता हूं, सके सुकुमार न मानो मुझे।

यमराज से भी युद्व को, प्रस्तुत सदा मानो मुझे।।

5. अदभूत रस

जहां पर किसी आलौरिक क्रिया कलाप आश्चर्य चकित वस्तुओं को देखकर या उन से सम्बंधित घटनाओं को देखकर मन में जो भाव उत्पन्न होते हैं वहाँ पर अदभुत रस होता हैं।

अदभुत रस का स्थाई भाव – आश्चर्य होता हैं।

उदाहरण :

बिनू पद चलै सुने बिनु काना।

कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।

6. भयानक रस

जहां भयानक वस्तुओं को देखकर या भय उत्पन्न करने वाले दृश्यों/घटनाओं को देखकर मन में जो भाव उत्पन्न होते हैं वहां पर भयानक रस होता हैं।

भयानक रस का स्थाई भाव – भय होता हैं।

उदाहरण :

उधर गरजती सिंधु लहरिया कुटिल काल के जालो सी।

चली आ रही फेन उंगलिया फन फैलाए ब्यालो सी।।

7. रौद्र रस

जिस काव्य रचना को पढ़कर या सुनकर हृदय में क्रोध के भाव उत्पन्न होते हैं वहां पर रौद्र रस होता हैं। इस प्रकार की रचनाओं में उत्प्रेरण सम्बन्धी विवरण होता हैं।रौद्र रस का स्थाई – भाव क्रोध होता हैं।

उदाहरण :

श्री कृष्ण के सुन वचन, अर्जुन क्रोध से जलने लगे

सब शील अपना भूल कर, करतल युगल मलने लगे।।

8. वीभत्स रस

जिस काव्य रचना में घृणात्तम वस्तु या घटनाओं का उल्लेख हो वहां पर वीभत्स रस होता हैं।

वीभत्स रस का स्थाई – भाव घ्रणा होता हैं।

उदाहरण :

सिर पर बैठियों काक, आँख दोऊ खात निकारत।

खींचत जीभही सियार अति, आनुदित ऊर धारत।।

9. शांत रस

वह काव्य रचना जिसमें श्रोता के मन में निर्वेद के भाव उत्पन्न होता हैं।

शांत रस का स्थाई भाव – निर्वेद होता हैं।मन रे तन कागज का पुतला,

लगे बुद विनसि जाए झण में,

गरब करै क्यों इतना।

10. वात्सल्य रस

स्नेह जहां पर वाल्य क्रीड़ाओं से संबंधित एवं उनसे स्नेह के भाव उत्पन्न हो वहां पर वात्सल्य रस उत्पन्न होता हैं।

वात्सल्य रस का स्थाई भाव – स्नेह होता हैं।

उदाहरण :

किलकत कान्ह घुटरुवन आवत।

मनिमय कनक नन्द के आँगन।

विम्ब फकरिवे घावत।।

11. भक्ति रस

जिस काव्य रचना में ईश्वर के प्रति भक्ति विश्वास के भाव उत्पन्न हो वहां पर भक्ति रस होता हैं।

भक्ति रस का स्थाई भाव – वैराग्य/अनुराग होता हैं।

उदाहरण :

राम जपु, राम जपु, राम जपु, वावरे।

घोर भव नीर निधि, नाम निज नाव रे।।

Explanation:

Answered by rashmiraj78
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Answer:

hlo abhay fir mujhe mt bolna ki mai bhul gyi aapko

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