Ras Khan ke dohe jo aapki kaksha 9 ki pathyapustak mein nahi ho aise 2 dohe aur unse milne wali sikh likhe
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1) doha - अरी अनोखी बाम तूं आई गौने नई
बाहर धरसि न पाम है छलिया तुव ताक में।
explaination- इसमें रसखान जी गोपियों से कहते हैं कि – अरी अनुपम सुन्दरी तुम नयी नवेली गौना द्विरागमन कराकर ब्रज में आई हो, क्या तुम्हें मोहन का चाल-ढाल मालूम नहीं है। अगर तुम घर के बाहर पैर रखी तो समझ लो-वह छलिया तुम्हारी ताक में लगा हुआ है। पता नहीं कब वह तुम्हें अपने प्रेम जाल में फांस लेगा।
2) doha - जोहन नंद कुमार को गई नंद के गेह
मोहि देखि मुसिकाई के बरस्यो मेह सनेह।
explaination - इस दोहे में महाकवि रसखान जी कहते हैं कि जब वे श्री कृष्ण से मिलने उनके घर गए तब उन्हें देखकर श्री कृष्ण इस तरह मुस्कुराये जैसे लगा कि उनके स्नेह प्रेम की बारिश चारों तरफ होने लगी। इसके साथ ही श्याम का स्नेह रस हर तरफ से बरसने लगा।
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