रसोई की खाली पीपियों को टटोला
बच्चों की गुल्लक तक देख डाली
पर सब में मिला एक ही तत्त्व खाली...
कनस्तरों को, मटकों को ढूँढ़ा सब में मिला शून्य-ब्रह
देखकर मेरे घर में ऐसा अरण्यकांड
उनका खिला हुआ चेहरा मुरझा गया
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इन कविता की पणक्तियोंका सरल अर्थ
Answers
यह पंक्तियाँ छापा कविता से ली गई है | छापा कविता ओमप्रकाश आदित्य के द्वारा लिखी गई है| कवि ने कविता में आयकर विभाग के छापे के माध्यम से आम आदमी की आर्थिक स्थिति , छापा मारने वालों की कार्य प्रणाली को दर्शाया है|
कविता की पंक्तियों का अर्थ है छापा मारने वाले अधिकारीयों ने घर के अंदर रसोई के खाली पीपों पर तीनों को भी टटोला और बच्चों की गुल्लक तक तोड़ कर देख डाली| सब में खाली मिले कुछ नहीं मिला किसी में | कनस्तरों से लेकर , मटकों में ढूँढ़ा सब खाली ही मिले| मेरे घर में कुछ न मिलने पर अधिकारीयों का खिला हुआ चेहरा मुरझा गया|
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