"रसोई की खाली पीपियों को टटोला बच्चों की गुल्लक तक देख डाली पर सब में मिला एक ही तत्त्व खाली...कनस्तरों को, मटकों को ढूॅंढ़ा सब में मिला शून्य-ब्रह्मांड।" दिए गए पद्यांश की इन पंक्तियों का सरल अर्थ २५ से ३० शब्दों में लिखिए।
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"रसोई की खाली पीपियों को टटोला बच्चों की गुल्लक तक देख डाली पर सब में मिला एक ही तत्त्व खाली...कनस्तरों को, मटकों को ढूॅंढ़ा सब में मिला शून्य-ब्रह्मांड।
यह पद्यांश छापा कविता पंक्तियों से लिया गया है | छापा कविता ओमप्रकाश आदित्य के द्वारा लिखी गई है| कवि ने कविता में आयकर विभाग के छापे के माध्यम से आम आदमी की आर्थिक स्थिति , छापा मारने वालों की कार्य प्रणाली को दर्शाया है|
अधिकारी लेखक के सारे घर की तलाशी लेने लगते है | अधिकारीयों ने रसोई के खाली पिपियों और कनस्तरों में खोल कर देखा | बच्चों की गुलक तक तोड़ डाली | कनस्तरों , मटकों को देखा , सब जगह देखा , पर उन्हें कुछ नहीं मिला | उनके हाथ आया खाली ,शून्य-ब्रह्मांड | अधिकारीयों ने लेखक के सारे को बिखेर के रख दिया पर उन्हें कुछ नहीं मिला |
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