Hindi, asked by durgeshkurre, 3 months ago

रस के अंगों का परिचय दीजिए​

Answers

Answered by sakinahathiyari13
1

Answer:

so...here is answer...

Explanation:

भरतमुनि द्वारा प्रतिपादित रस की व्याख्या को देखा। जिसके अनुसार रस के अंगों के रूप में विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी भावों के संयोग को लिया जाता है। सह्रदय केह्रदय में जो मनोविकार वासना या संस्कार रूप में विद्यामान रहते है तथा कोई भी विरोधी या अविरोधी भाव जिन्हें दबा नहीं सकता, उसे स्थायी भाव कहते है। ... स्थायीभाव रस का मूल है।

I hope it's helpfull.

Answered by vijendarshekawat
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Answer:

भरत मुनि द्वारा प्रतिपादित रस की व्याख्या को देखा। जिसके अनुसार रस के अंगों के रूप में विभाव , अनुभाव व्यभिचारी भावो के संयोग को लिखा जाता है। सहृदय के हृदय में जो मनोविकारी वासना या संस्कार रूप में विद्वान रहते हैं तथा कोई भी विरोधी या अविरोधी भाव जिन्हें दबा नहीं सकता उसे स्थाई भाव कहते हैं। स्थायीभाव रस का मूल है।

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